अस्तित्व फाऊंडेशन द्वारा महान क्रांतीकारी बिरसा मुंडा जयंती
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नागपुर। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक गांव उलिहातु में हुआ था। उन्होंने एक जर्मन मिशनरी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी। बिरसा में सबके साथ घुलने-मिलने का स्वभाव था।
इसलिए, कम उम्र में, उन्होंने सहकर्मी और समान विचारधारा वाले संघों का आयोजन किया। बिरसा अपने पिता सुगन मुंडा के जबरन धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई मिशनरियों और अंग्रेजों से बहुत नाराज थे।
उसमें उन्होंने अंग्रेजों द्वारा अशिक्षित आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को देखकर ब्रिटिश अधिकारियों को सबक सिखाने की सोची। बिरसा मुंडा गोडगेड़ा गांव के स्वामी आनंद पांडेय को अपना गुरुस्थानी मानते थे।
उनके आशीर्वाद और सहयोग से, बिरसा मुंडा ने 1895 में छोटा नागपुर क्षेत्र में ब्रिटिश सरकार के अन्याय के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और जेल में यातनाएं दीं।
9 जून 1900 को बिरसा मुंडा की रांची जेल में मृत्यु हो गई। बिरसा मुंडा को लोगों ने जननायक की उपाधि से विभूषित किया था।
'उलगुला आंदोलन:
1857 के विद्रोह के दमन के बाद भी भारत के विभिन्न भागों में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गए।
उनमें से महत्वपूर्ण 1895 और 1900 के बीच मध्य भारत में छोटा नागपुर के क्षेत्र में बिरसा मुंडा द्वारा शुरू किया गया 'उलगुलान' आंदोलन है। बिरसा मुंडा ने अपना जीवन देश पर शासन करने वाले अंग्रेजों और आदिवासियों का धर्मांतरण करने वाले मिशनरियों, दोनों के खिलाफ लड़ते हुए बिताया।
अंग्रेजों ने अपने आर्थिक लाभ के लिए आदिवासी जंगलों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। उस समय आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकार के लिए बिरसा मुंडा आगे आए।
उन्होंने आदिवासी पहचान, आदिवासी संस्कृति और स्वायत्तता की रक्षा के लिए क्रांति का हथियार उठाया। उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए उलगुलान आंदोलन शुरू किया। उस दौरान बिरसा मुंडा और अंग्रेजों के बीच कई झड़पें हुईं।
ऐसे महान आदिवासी क्रांतीकारी बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष मे अस्तित्व फाऊंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रकाश हेडाऊ के मार्गदर्शन मे बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर अस्तित्व फाउंडेशन की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की गई, इस अवसर पर संगठन के संजय हेडाऊ, गणेश धकाते, योगेश पिलंकर, शुभम परदेसी, गणेश मोहाडीकर, राजेश चांदेकर, रोहित इलपानी, नरेश बिरेवार आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।