आरक्षण से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार सात दशक से वंचित
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सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश के निर्णय से जरूरतमंदों को मिला न्याय
नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। विश्व में जहाँ मानव धर्म एक समान है. सभी धर्मों में प्रार्थना, इबादत, ईश्वर के प्रति आस्था है. वहीँ गोरे काले, विभिन्न जातियों का आरक्षण कर बंटवारा करना देश के संविधान के साथ अन्याय है. हाल ही में आर्थिक रूप से कमजोर, जरूरतमंद वर्ग के लिए पांच जज में से तीन जजों का फैसला स्वागत योग्य कदम है. वहीँ लगातार सात दशक से जातियों को आपस में बांटकर पचास फीसदी आरक्षण लागू करना देश के सामान्य नागरिकों के साथ अन्याय है.
पांच में से तीन न्यायाधीशों में जे. बी. पारदीवाला, दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और जरुरत मंद के लिए दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का फैसला सराहनीय है. लेकिन अन्य दो न्यायाधीशों की असहमति से सामान्य जातियों और जरूरतमंद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. आधुनिक युग में सभी जाती, धर्म को देश के संविधान में बराबर का अधिकार दिया गया है.
पूर्व की सरकारों द्वारा किसी भी जाति धर्म के लोगों को निम्न समझने वाले नागरिकों के प्रति सजा, दंड का प्रावधान रखा था. किसी भी जातियों को जहाँ हरिजन, दलित कहना कानून की नज़र में गुनाह माना जाता है। वहीँ दुसरी तरफ सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति का हवाला संविधान में देकर आरक्षण लागू करती आ रही है. यह कानूनन समझ से परे है. वोट की राजनीति, समाज के सदस्यों की संख्या अधिक होने पर भी उसे अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है। जबकि हमारे देश के विभाजन के बाद भी राजनीती का वोटों के लिए इस स्तर तक गिरना चिंता का विषय है।
आज 75 वर्ष बाद भी संविधान में एस सी, एस टी, ओ बी सी को लगभग पचास फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है. 75 वर्ष में तीन श्रेणियों के नागरिक वर्तमान में संपन्न है. फिर भी उन्हें शोषित, दलित, वंचित वर्ग की श्रेणी में रखा गया है. जबकि सामान्य श्रेणी के उच्च जातियों को नौकरियों में स्वतंत्रता के बाद कोई स्थान नहीं मिला. भारत के संविधान में आरक्षण की अवधि सीमित समय के लिए ही थी. लेकिन वोट की राजनीति के चलते सरकार अन्य सामान्य जातियों को नौकरियों में स्थान देना भूल चुकी है.
आज भी सामान्य जाति की चार से पांच पीढ़ी नौकरियों से वंचित है. भारत जैसे देश में यातायात के दौरान हेलमेट पहनने के कानून केवल कुछ ही लोगों के लिए बनाए गए है. अनेक लोगों द्वारा सड़कों पर हेलमेट नहीं पहने होने पर भी खुले आम पुलिस उन्हें नहीं पकड़ रही है.