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डिब्रूगढ़, असम में आयोजित नागरी लिपि सम्मेलन में नागरी लिपि पर व्यापक चर्चा संपन्न

 
         
नागपुर/नई दिल्ली।  राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के परम अनुयायी आचार्य विनोबा भावेजी की सत्प्रेरणा से स्थापित नागरी लिपि का प्रचार - प्रसार करने वाली संस्था नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के अपने 45 वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन में नागरी लिपि पर राष्ट्रीय स्तर की विस्तृत चर्चा हुई,जो लगभग 5 सत्रों में होती रही । तेंगाखात महाविद्यालय, डिब्रूगढ़ के सभागार में प्रथम गोष्ठी ‘राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि की भूमिका’ विषय पर आयोजित थी। 
         
प्रख्यात नागरी सेवी एवं विनोबा नागरी राष्ट्रीय सम्मान से पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य तथा नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख की अध्यक्षता में अनेक नागरी विद्वानों ने अपने शोध पत्र पढ़े। इसकी पूर्व पीठिका पर प्रकाश डालते हुए नागरी लिपि परिषद के महामंत्री तथा हिन्दी सलाहकार समिति,संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ. हरिसिंह पाल ने ‘राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि की भूमिका’ पर सारगर्भित मंतव्य दिया। डॉ. प्रतिभा येरेकार, धर्माबाद, नांदेड, महाराष्ट्र ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज  तक राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि के महत्व पर प्रकाश डाला। 
         
केंद्रीय हिंदी निदेशालय भारत सरकार के पूर्व उपनिदेशक श्री उमाकांत खुबालकर ने भाषाई एकता के लिए नागरी लिपि को एक अनिवार्य साधन बताया। 

डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, परिषद की तमिलनाडु प्रदेश की संयोजक, चेन्नई ने तमिलनाडु में  नागरी-हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता को समझाया। पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पुदुचेरी के हिंदी विभाग की आचार्य डॉ. पदमप्रिया  ने राष्ट्रीय एकीकरण के लिए  नागरी - हिंदी को अपनाने का आवाहन किया। सत्र संचालक व रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व हिंदी अधिकारी व परिषद के कोषाध्यक्ष आचार्य ओमप्रकाश ने भी राष्ट्रीय एकता में नागरी लिपि के महत्व को विशद किया। 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख पुणे ने नागरी लिपि परिषद के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत की भावात्मक व सांस्कृतिक एकता में नागरी लिपि के योगदान को स्पष्ट किया। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित इस सत्र के सभी वक्ताओं का नागरी अंग वस्त्र और नागरी साहित्य एवं फुलोरा गमोंछा से स्वागत किया गया|
     
पूर्वोत्तर में नागरी-हिंदी विषयक सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की निदेशक प्रोफेसर डॉ. बीना शर्मा ने की । पूर्व कुलपति एवं परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पातंजलि के सानिध्य में तथा तेंगाखात महाविद्यालय, डिब्रूगढ़, असम के प्राचार्य डॉ. किरण हजारिका मुख्य अतिथि के रूप में इस सत्र में उपस्थित थे। 
     
सर्वप्रथम मंचासीन सभी अतिथियों का स्वागत फुलोरा गमछा व नागरी साहित्य से स्वागत किया गया। इस सत्र में परिषद की मुख्य पत्रिका ‘नागरी संगम’ के प्रकाशित अंक ‘आजादी का अमृत महोत्सव विशेषांक’ और केंद्रीय हिंदी संस्थान, गुवाहाटी केंद्र द्वारा प्रकाशित हिंदी – असमिया, हिंदी -मिजो, हिंदी-नेपाली, हिंदी – मणिपुरी, हिंदी – जयंतिया अध्येता कोश और  समन्वय पूर्वोत्तर पत्रिका का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। 
     
तेंगाखात महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. चिन्मय डेका के संचालन में मणिपुर विश्वविद्यालय की डॉ. ई. विजयालक्ष्मी, गुवाहाटी विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रीतामणि बैश्य, प्रागज्योतिष महाविद्यालय, गुवाहाटी की डॉ.  नंदिता राजबंशी, पूर्णिया विश्वविद्यालय, बिहार की डॉ. वंदना भारती, डिमारिया कॉलेज, डिब्रूगढ़ की डॉ. जया बोरा तथा एलावरी की दुमई (शिलांग, मेघालय) दुमादुआ कॉलेज, 
     
डिब्रूगढ़ के डॉ. परीक्षित नाथ, एम. डी के जी कॉलेज डिब्रूगढ़ की डॉ. उमा देवी, कॉटन विश्वविद्यालय, गुवाहाटी की पंखी सेनापति ने निर्दिष्ट विषय पर अपने शोध पत्रों का वाचन किया तथा डॉ. बीना शर्मा ने केंद्रीय हिंदी संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। केंद्रीय हिंदी संस्थान, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस सत्र का धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने किया। 
     
‘सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि’ आभासी सत्र में डॉ. श्यामसुंदर कथूरिया, संयुक्त निदेशक, राजभाषा कर्मचारी राज्य जीवन बीमा निगम, श्रम मंत्रालय, नई दिल्ली ने कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर नागरी लिपि में लिखने की कला को बताया। यूनिकोड में टाईप करने को प्रेरित किया। 

समापन एवं मूल्यांकन सत्र में सम्मानीय विधायक श्री तेरस ग्वाला (दुलियागन, डिब्रूगढ़) मुख्य अतिथि के रुप में पधारे थे। परिषद के अध्यक्ष तथा पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने अध्यक्षता की। परिषद के महामंत्री डॉ.  हरिसिंह पाल के सानिध्य में चल रहे समापन सत्र का संचालन डॉ. चिन्मय डेका ने किया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राजवीर सिंह मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर विधायक श्री तेरस ग्वाला, डिब्रूगढ़ ने नागरी लिपि परिषद की आजीवन सदस्यता ली। 

धन्यवाद ज्ञापन नागरी लिपि परिषद ,नई दिल्ली के कार्याध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख ने किया। इससे पूर्व एक प्रेस वार्ता में डॉ. पातंजलि और डॉ. शेख के सानिध्य में महामंत्री एवं राष्ट्रीय संयोजक डॉ हरिसिंह पाल ने 45 वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन के लक्ष्य एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इस प्रेस वार्ता में 1 दर्जन से अधिक समाचार पत्र एवं टीवी चैनलों के संवाददाता उपस्थित थे। 

इस अवसर पर श्री उमेश चंद्र त्यागी, कोष निरीक्षक तथा कर्मवीर सिंह, रसूलपुर, हापुड़, हरपाल सिंघ राणा, चवाकुल रामकृष्ण राव, हैदराबाद, डा. एस. पद्मप्रिया, पॉन्डिचेरी, श्रीमती पुष्पा पाल, नई दिल्ली तथा डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, चिन्नई सहित अनेक मान्यवरों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
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