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बदलते युग में सभ्यता, अत्याधुनिक सोच, अनुशासन से सुधार संभव



वैमनस्य, शत्रुता, कटुता से एकता, अखंडता, भाईचारा खतरे में

नागपुर (आनन्दमनोहर  जोशी)। विश्व की महाशक्ति बनने के लिए दिनबदिन दावे किये जाते रहे है. विगत दो वर्षों के पूर्व भयंकर महामारी त्रासदी के दौरान महाशक्ति समझे जानेवाले देशों ने भी घुटने टेक दिए थे.

ऐसे समय भारत जैसे बड़ी आबादी के देश होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 56 देशों से ज्यादा देशों को वक्सीने देकर मदद का हाथ बढ़ाया गया. ऐसे संकट के समय अनेक देशों की मदद करने के बाद भी विपक्षी अध्यक्ष पद पर रहे लोगो के माध्यम से प्रधानमंत्री की आलोचना की गई। भारत जैसे देश में 2024 को पुनः लोकसभा चुनाव होना शेष है. उससे पहले भारत जोड़ो जैसे कार्यक्रम के साथ विपक्ष के नेता देशभ्रमण कर रहे है. 

जबकि भय, भुखमरी, बेरोजगारी महामारी से भी खतरनाक है, उसके लिए विपक्षी नेताओं का कोई कार्यक्रम नहीं तैयार किया जा रहा है. भारत जोड़ो, भारत निर्माण यह 1947 से पूर्व ही किया जा चुका है. यदि कोई राजनितिक दल या विपक्षी सबका साथ,सबका विश्वास,सबका प्रयास और सबको रोजगार के लिए देशभर में कार्यक्रम लाये. और उसे कश्मीर से कन्याकुमारी तक ले जाए. तभी आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सकता है। 

वर्तमान में कोई राजनितिक पार्टी का अध्यक्ष महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति विशेष को रावण कहकर सम्बोधित करे, तो यह अनुशासन और संविधान के साथ मज़ाक ही है. साथ ही देशभर में अनेक नेताओं द्वारा भद्दी टिप्पणियां की जा रही है. यह अत्याधुनिक युग, सभ्यता और अनुशासन के विरूद्ध भौंडा प्रचार है. साथ ही संविधान के निर्माताओं के प्रति भी अपमान है. 

अब जबकि 249 विश्व के गिनेचुने देशों में भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख मजबूत हो रही है. ऐसे समय देश के ही प्रमुख संवैधानिक पद पर बैठे उच्च नेताओं के वक्तव्य पर नियंत्रण रखना अत्यंत जरूरी है. इसके लिए भारत सरकार सांसदों, विधायकों, मंत्रियों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर अनुशासन का निर्माण  करना ही बेहतर होगा.
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