लघुकथाएं अत्यंत प्रभावपूर्ण होती हैं : डॉ विनोद नायक
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नागपुर। लघुकथाओं का स्वरूप छोटा होता है परंतु परिणाम बहुत बड़ा होता है। एक घटना मात्र से लघुकथा लिखी जा सकती है, पात्र संख्या भी बहुत कम होती है। लिखने पढ़ने में समय भी कम लगता है परंतु लघुकथाएं अत्यंत प्रभावपूर्ण व सारगर्भित होती हैं।
उक्त विचार विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन साहित्यिकी के संयोजक डॉ विनोद नायक ने लघुकथा सम्मेलन में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विवेक असरानी ने की। अतिथि का स्वागत संयोजक प्राध्यापक आदेश जैन ने किया। संचालन संयोजक डॉ विनोद नायक ने किया।
लघुकथाकार तजिंदर सिंह ने बाल नैतिकता पर आधारित प्रेरणादाई लघुकथा प्रस्तुत की। डॉ भोला सरवर ने ऐतिहासिक घटना पर आधारित लघुकथा प्रस्तुत की। माणिक खोबरागड़े ने भगवान बुद्ध पर आधारित प्रेरक लघुकथा प्रस्तुत की।
शादाब अंजुम ने ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा पर आधारित लघुकथा प्रस्तुत की। प्राध्यापक आदेश जैन ने नैतिक मूल्य पर आधारित मार्मिक लघुकथा पेश की। विवेक असरानी ने सामाजिक भाव से ओतप्रोत लघुकथा प्रस्तुत की।
हेमलता मिश्र मानवी ने शोषण व समाज की विषमता पर आधारित लघुकथा पेश की। सुरेंद्र हरडे ने पारिवारिक दृष्टिकोण से निहित लघुकथा प्रस्तुत की। विमलेश सूर्यवंशी ने छोटे से दायित्व से समाज का बड़ा फायदा संभव है
लघुकथा प्रस्तुत की। डॉ विनोद नायक ने निर्धन व धनी दोनों हेतु श्मशान व कब्रिस्तान में एक समान क्रियाकलाप पर आधारित लघुकथा प्रस्तुत की। इस तरह उपक्रम साहित्यिकी में लघुकथा के रंग बिखेरे।