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चीत्कार


हमारी दोस्ती सोशल मीडिया के द्वारा शुरू हुई। ये बात है करीब पाँच या छ साल पहले की, मेरे सोशल मीडिया अकाउंट पर बार बार एक लड़का फ्रेंड रीक्वेस्ट भेजता था।  मैने पहले तो इग्नोर किया, लेकिन फिर कई बार रीक्वेस्ट आने पर मैने वो एक्सेप्ट कर ली। सीएस और सीए क्वालीफाइड। बहुत ही डीसन्ट नजर आने वाला।  वो कभी 2 या 3 महीने में एक बार कोई मैसेज भेजता था। किसी त्यौहार पर या किसी खास मौके पर। बस इतनी ही दोस्ती की शुरुआत में था। फिर एक बार छ महीने बीत जाने पर भी उसका कोई मैसेज नहीं आया। मतलब इस तरह से कई कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। एक बार उसने बताया की उसके अकाउंट में कुछ गड़बड़ हो गई थी, इसलिए बात नहीं हो पाई। व्हाट्सएप्प नंबर एक्सचेंज हुए। और फिर मेसेजेस पर बात होने लगी। असली कहानी शुरू हुई एक विडिओ काल से। जो  उसने अचानक ही एक रात मुझे किया। 
अहमद:  हलो क्या कर  रही थी आप ?
प्रीति :आज अचानक कैसे काल कर लिया? 
अहमद: आपको अच्छा नहीं लगा क्या?
प्रीति: नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं। अच्छा लगा आपने फोन किया। वैसे  ही आप इतनी कम बातें करते हैं। 
अहमद: अच्छा नहीं लगता किसी लड़की को इतनी रात गए काल करना। मुझे भी नहीं करना चाहिए था। पर आपसे बहुत दिनों से बात करने के बारे में सोच रहा था। आपका वो फोटो बहुत अच्छा था। एकदम अलग लग रही थी आप उसमे। बिल्कुल मासूम, प्यारी गुड़िया जैसी। मुझे ऐसे लोग बहुत अच्छे लगते हैं। जिनमे कोई दिखावा न हो।
 प्रीति: (सोचते हुए मैने तो पिक पाँच मिनट बाद ही डिलीट कर डी थी, फिर इसने केसे देख ली ) अच्छा । आपको अच्छी लगी तो वाकई अच्छी होगी। 
अहमद: आपसे बात करके लगता ही नहीं की किसी अजनबी से बात हो रही है। आप बहुत अच्छी हैं। आप सो जाइए। माफी चाहता हूँ इतनी रात गए आपको डिस्टर्ब किया। 
प्रीति: ठीक है बात करते रहेंगे। ( बहुत ही अच्छा बंदा है। कितना शांत, विनम्र, लड़कियों की इज्जत करने वाला। कभी कोई बदतमीजी नहीं। हमेशा प्यार से बात करना)

इस काल के साथ हमारी बातें शेयर होने लगी। फोटो, वीडियोज़, मेसेजेस, लगातार बात होने लगी। एक दिन बात करते हुए हमारे पास्ट के बारे में बात हो रही थी। 
अहमद: तुमने कभी किसी से प्यार किया है?
 प्रीति ;अच्छा लगता था एक लड़का। फिर बाद में वो अब्रॉड शिफ्ट हो गया। बहुत मन खराब हुआ। काफी दिन तक दुख होता रहा। तुम बताओ? तुम तो इतने कूल से हो, वेल एज्यूकैटड हो, कोई न कोई लड़की तो होगी तुम्हारी ज़िंदगी में। 
अहमद: ठीक तुम्हारी तरह ही मेरी भी ज़िंदगी में एक लड़की थी। शबाना हमारी कम्यूनिटी की नहीं थी। में सुन्नी मुस्लिम हूँ और वो शिया थी। इस सबके बाद भी मैने समाज से, दुनिया से और यहाँ तक की खुदा  से भी लड़ने की ठान ली थी। मेरे घर वाले तो तैयार हो गए थे। पर वो ही पीछे हट गई।  मैने उसे इतना प्यार किया, की इस दुनिया  में कोई किसी से नहीं कर सकता। पर उसने मुझे धोखा दिया। में उसे भूल ही नहीं पा रहा।  बस तब से ही मैँ ऐसा हो गया हूँ। किसी काम में मन नहीं लगता। कहीं नौकरी नहीं कर पाता। पिछले दो सालों से ऐसे ही घूम रहा हूँ बिना काम के। बीमार रहता हूँ। तब से सोच लिया था किसी लड़की से दोस्ती नहीं करूंगा। पर तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगा। 
प्रीति : में भी तो अलग धर्म से हूँ। 
अहमद: धर्म, मजहब क्या होता है। सब इंसानों के बनाए हुए हैं। तुम और में इस जमाने के हैं। ये सब नहीं मानते। हम जब शादी करेंगे तो बस एक दूसरे को खुश रखेंगे। नफ़रतों के लिए कोई जगह नहीं होगी हमारे बीच। 
प्रीति: तुम शादी करोगे मुझसे?
अहमद: हाँ और क्या। लो ये गाना सुनो “ चाहा है तुझको चाहूंगा हरदम“
प्रीति: बहुत अच्छा लगा तुमसे सुनकर की तुम शादी करोगे मुझसे। और ये गाना तो मेरा बहुत फेवरेट है। 
अहमद: जैसे फिल्मों में हीरो और हीरोइन दोनों अलग धर्मों से होते हैं, पर प्यार हो जाता है दोनों के बीच। ठीक वेसे ही हम भी ज़िंदगी गुजरेंगे। हर साल अपनी सालगिरह ताजमहल पर मनाया करेंगे। में तुमको बहुत खुश देखना चाहता हूँ। में अपने पेरेंट्स को मन लूँगा। और वो मेरा कहना कभी नहीं टालेंगे। 
 प्रीति: मेरे पेरेंट्स नहीं माने तो?
अहमद: उनको में मनाऊँगा। आपकी बेटी से प्यार करता हूँ। तुम बिल्कुल निश्चित रहो, सब में कर लूँगा। हिन्दू रीति रिवाज से शादी करूंगा तुमसे। 
अभी तुम खूब अछे से पढ़ो, गेट की तैयारी करो। काम्पिटिशन निकालो और फिर दिल्ली शिफ्ट हो जाओ। में तुमको बहुत आगे बदते हुए देखना चाहता हूँ। 

प्रीति: ( मेरे सपनों का राजकुमार है ये तो। ठीक वेस ही जैसा मैने अपने लिए मांगा था। अपना घर बसाऊँगी इसके साथ, खूब प्यार से रहेंगे हम दोनों। क्या हुआ की वो दूसरे धर्म का है। दूसरी जातीयों और धर्मों मे भी तो शादियाँ होती ही हैं । और अहमद तो हिन्दू रीति रिवाज से शादी करना चाहता है मुझसे। अब तो मेरे पेरेंट्स को भी कोई दिक्कत नहीं होगी।) 
दिन ऐसे ही बीत रहे थे। अहमद ने प्रीति को कृष्ण और गीता  की कई बातें सुनाई। जो खुद प्रीति को भी नहीं पता थी। उसके लिए आश्चर्य का ठिकाना न रहा की दूसरे धर्म का हो कर भी ये इतना कुछ जानता है। फिर एक दिन हनुमान जी पर बात छेड़ दि अहमद ने। पूछा 
अहमद: तुम्हारे घर में हनुमान जी की पूजा होती है?
प्रीति: हाँ पापा करते हैं।  छोटा भाई भी। 
अहमद: में भी हनुमान मंदिर जाता था। हनुमान जी राम के सबसे बड़े भक्त थे। हनुमान जैसा कैरिक्टर पूरी रामायण में नहीं है। उनको अपनी ही शक्ति की याद दिलानी पड़ी थी। बिल्कुल निस्वार्थ भाव से सेवा करते रहे। और जब वो छोटे थे तब एक बार उन्होंने सूरज को ही निगल लिया था। 
बहुत अछे मैनेजर थे हनुमान जी। 
प्रीति: सच ! तुम हनुमान मंदिर जाते थे? तुम्हें तो बहुत कुछ पता है उनके बारे में। 
अहमद: लंका में आग भी तो उन्ही ने लगाई थी। कैसे रावण का घमंड चूर किया। 
उस दिन प्रीति पूरी तरह गिरफ्त में आ चुकी थी। उसे पूरा विश्वास हो गया था की अहमद ही उसका सच्चा हमसफ़र बन सकता है। अब वो पूरी तरह अहमद को अपना मान चुकी थी। 
(एक दिन अहमद का फोन आया और मिलने की बात कहने लगा।) 
अहमद: मिलने कबब आ रही हो मुझसे? कितने दिन हो गए हमारी बात होते हुए 
प्रीति: हाँ बात तो ठीक है, तुम ही आ जो यहाँ। में तो अपने शहर से बाहर कभी गई ही नहीं। फिर दिल्ली केइसे आऊँगी?

अहमद: यार में आ सकता तो आ ही जाता। मेरे पास अभी पैसा नहीं है आने का,कमाता नहीं हूँ । 
प्रीति: टिकट में भेज दूँगी। आ जाओ 
अहमद: यार तुम ही आ जो। एक दोस्त की हैसियत से ही मिल जाओ। 
प्रीति उसकी बात से सहमत हो गई। और उसने फ्लाइट के दो टिकट करवाए। सुबह की फ्लाइट से जा के शाम की  वापसी । बीच में दो घंटे का टाइम था। जिसमे उसे अहमद से मिलन था। 
एयरपोर्ट पर अहमद प्रीति से मिला प्रीति को अपने दोस्त से बने प्रेमी से मिलने की  अलग ही खुशी थी। प्रीति ने लंच के लिय नोनवेज ऑफर किया, पर उसने ये कह कर मनया कर दिया की उसे दाल  चावल ही अच्छे लगते हैं। नोनवेज वो नहीं खाता। जैसे ही फ्लाइट का टाइम हुआ तो अहमद ने बहुत जिम्मेदारी दिखाते हुए विदा किया। इस बीच न तो प्रीति को छूने की कोशिश की, न किसी तरह की अनर्गल बातें की। बोल समय से पहुँच जो घरवाले चैनता करेंगे। एक सभ्य व्यक्ति की सारी हदें उसने दिखलाई। प्रीति को जाते समय भी न गले लगाया न ही हाथ मिलाया। 
प्रीति फ्लाइट पकड़ कर अपने शहर रायपुर वापस आ गई। रात में जबब दोनों की बात हुई तो अहमद ने कहा : तुम तो ऐसे मुह मोड कर चली गई। की पीछे पलट कर तक नहीं देखा। में कितना चाहता था की तुम पलट के देखो तो तुमको गले लगा कर बाय कहूँगा। 
प्रीति को बहुत रिग्रेट हुआ की उसने अहमद को पलट कर क्यों नहि देखा। उसने बहुत सॉरी बोल और कहा की 
 प्रीति: मुझे लगा की तुम पता नहीं क्या सोचोगे? 

प्रीति को ये सब स जैसा लग लगा था। अहमद एक बहुत अच्छा इंसान है। मेरे सपनों की बात करत है, मेरे पेरेंट्स  के बारे में सोचता है, मेरी फिक्र करता है, हमारे सपनों की बात करताहे। कुल मिला के अब प्रीति उसे अपना जीवन साथी बनाने को तैयार हो चुकी ठी। उसने बहुत क्रमबद्ध तरीके से प्रिया का विश्वास जीत लिया था। वो दिन पे दिन रोमांटिक गाने भेजता, पेरेंट्स की चिंता करता, और जाने क्या क्या सपने दिखाता। जो एक लड़की हमेशा अपने भविष्य के लिए देखती है। प्रीति को सचमुच प्यार हो गया था अब अहमद से। तब तक प्रीति, किसी धर्म की कट्टरता नहि  जानती थी, वो सिर्फ प्यार जानती थी। उसे न जिहाद पता था, न उस धर्म के बारे में कोई जानकारी थी। 

अहमद: अब तो तुम मुझसे मिल चुकी हो, इस बार दिल्ली आओ तो तुमको लाल किला दिखाएंगे, लोटस टेम्पल घुमायनेगे, जामा मस्जिद ले चलेंगे। तुमको अपनी  आँखों से दिल्ली दिखाएंगे। दिवाली के आस पास आजो साथ मिल कर दिए जलाएंगे। 
प्रीति: इस बार तुम आ जाओ मेरे पेरेंट्स से भी मिल लेना। 

अहमद: अभी नहीं, अभी अछे से कमा नहि रहा, क्या कह कर उनके सामने आऊँगा? तुम ही आ जाओ फिर हम लोग घूमने  चलेंगे। 
(पहली बार सितंबर में दिल्ली गई प्रिया वही से आगरा घूमने का प्लान बना। )
प्रीति: देखो मैने ये होटल बुक करवाया है। इसमे दो रूम लिए हैं। 
अहमद: यार ये कुछ ठीक नहीं दिख रहा। ये सामने ‘शेरेटन’ है, इसमे करवा लेते हैं। हम लोग बहुत रीप्यूटिड फॅमिली से हैं। ऐसे होटल में रुकना ठीक नहि। 
प्रीति: ये तो बहुत महंगा है। एक रूम का किराया ही 7000/- रु है। इतने पैसे नहीं हैं मेरे पास की इसमे दो रूम बुक करवाएँ। 
(अब तक सारे खर्चे प्रीति ही करती आ रही थी। उसने ध्यान ही नहीं दिया और ये भी दिमाग में था की अभी कमाता नहीं है। )
अहमद: तो एक ही करवा लेते हैं। कम् से कम् जगह तो अछि रहेगी। 
 
प्रीति: ठीक है। रूम में पहुँच कर सामान रख कर जल्दी से घूमने चलेंगे। 
रूम में पहुँच कर अहमद बोला 
अहमद:मेरी तबियत खराब हो रही है। प्लीज लाइट बंद कर दो।
प्रीति ने लाइट बंद कर दी घूमने जाने का प्लान चौपट हो गया। 
 प्रीति: लो जूस पी लो थोड़ा ठीक लगेगा। 
अहमद: रख दो और अपने लिए भी कुछ ले लो खाने को। सुबह से तुमने कुछ नहीं खाया। 
प्रीति: हाँ में नीचे से जा कर कुछ ले आती हूँ 
लौटकर प्रिया ने देखा की अहमद ने जूस नहि पिया था। उसने वो जूस प्रीति को देते हुए कहा-
अहमद: ये तुम पी लो। थोड़ा ठीक लगेगा। 
प्रीति: आर ये तो तुम्हारे लिए लाई थी। 
अहमद: नहि मेरा मन नहि तुम पी लो। 
जबरदस्ती अहमद ने उसको वो जूस पीला दिया। थोड़ी देर में प्रिया का सर चकराने लगा। और वो बेहोश हो कर बिस्तर पर गिर गई। सुबह जब आँख खुली तो देखा की उसके पूरे कपड़े उतरे हुए हैं। और उसके साथ वो सब हो चुका था जीसे वो अब तक रीस्ट्रिक्ट करती आ रही थी। 
प्रीति: (रोते हुए प्रीति बोली) ये तुमने क्या किया अहमद। मेरे साथ ये सब क्यों किया? मेरा भरोसा तोडा तुमने। 

अहमद:  (पैरों में गिरकर माफी मांगने का ढोंग करते हुए बोला ) नहि प्रीति में तो तुमको बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ। ये सब तो मैने अपने दोस्तों के कहने पर किया। मेरे दोस्तों ने कहा था की यदि लड़की को खोना नहि चाहते तो उसके साथ ये सब जरूर करना। पहले शबाना भी सिर्फ इसलिए ही मुझसे दूर हो गई थी की मैने उसके साथ ये सब नहि किया था। (अहमद बुरी तरह से रो रहा था। उसका शरीर एकदम लोहे की तरह ताप रहा था। अपने कीये पर बहुत शर्मिंदा हो रहा था। ऐसा वो प्रिया को विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा था।) 
प्रीति: (प्रीति को विश्वास हो गया की अहमद ने गलत इरादे से उसके साथ ये सब नहीं किया। ये तो बहुत सीधा है। इसके दोस्तों के बहकावे मे आ कर उसने ये कदम उठाया) अच्छा अब उठो और मुझे दिल्ली छोड़ दो। मुझे घर जाना है। अब मुझे यहाँ नहीं रुकना। 
(दिल्ली पहुँच के भी अहमद प्रीति के साथ होशोहवास में  फिजिकल होने की कोशिश करता रहा। लेकिन प्रीति इसके लिए राजी नहि हुई। वो अगली फ्लाइट पकड़ के अपने शहर रायपुर वापस आ गई) 

अब अहमद उससे फोन पर भी सभी तरह की बातें करने लगा था। कुछ ऐसे फोटो और वीडियोज़ भी भेजने लगा था जिससे प्रिया को थोड़ी हिचक होती थी।
अहमद: आर इतना क्या शर्माना? भले तुम्हारे होशो हवास में हमारे बीच कुछ नहीं हुआ। पर हुआ तो है ना। इसलिए अब तुम शर्माया मत करो। देखो वैसे भी हम जल्दी शादी कर ही लेंगे। 
प्रीति: हाँ वो तो है, पर फिर भी थोड़ा ठीक नहीं लगता 
अहमद: आर क्या ठीक नहीं लगता। अब तुम शर्माना बंद करो। और अपनी कुछ अछि तस्वीरें भेजो। 
प्रीति: नहीं में नहीं भेजती 
अहमद :प्रीति बात तो फोटो की थी ही नहीं। बात तो बात की थी। की तुम कितना प्यार करटी हो मुझसे। बस यही देखना चाहता था। इतने समय बाद भी में तुम्हें गैर ही लगता हूँ। खैर में तुम्हें फोर्स नहीं करना चाहता। 

प्रीति: तुम ऐसे मत्त बोल करो। अच्छा भेजती हूँ अभी। 
अहमद: अच्छा ये बताओ शादी कहाँ करोगी मुझसे? आगरा में ताजमहल् पर? वहाँ हम हिन्दू रीति रिवाज से शादी करेंगे। 
प्रीति अहमद की बातों में घिरती जा रही थी। उसे अहमद में ऐसा कुछ भी गलत नजर नहीं आ रहा था जिसे वो नजर अंदाज कर सके। लेकिन धीरे धीरे उसके फोन आना कम् हो गए। अब वो बहुत ही कम फोन करता था। एक दिन प्रीति ने पूछा 
प्रीति: क्या बात है तुम बात ही नहीं करते आजकल?
अहमद: आर क्या बताऊँ मेरी शादी घर वालों ने काही और तय कर डी है। और मेरे पापा की किड्नी भी खराब हो गई है। उन्ही के इलाज में जूता हूँ। पैसा तो मेरे पास है नहीं 

प्रीति: आर पैसा क्या, तुम परेशान मत हो, पैसा में भेज देती हूँ। अपना अकाउंट नंबर दो में अभी ट्रॉन्स्फर कर देती हूँ। 
(प्रीति ने उसके पिता के लिए करीब 3-4 लाख रुपया दिया। और बाकी के कई खर्चे भी प्रीति ही करती रहती थी अहमद पर। इस बीच दोनों का मिलन खूब बना रहा। कई बार भौतिक संबंध भी हुए। अब उसने फोन करना लगभग बंद ही कर दिया था। लेकिन प्रिया अब अहमद के बिना रहना नहीं चाहती थी। वो फिर दिल्ली पहुंची । अहमद को हमेशा के लिए अलविदा  कहने गई थी। क्यों की उसकी शादी घर वालों ने कहीं और फिक्स कर दी थी। लेकिन वहाँ जा कर वो खुद को रोक नहीं पाई और अहमद के पैरों में गिरकर रोने लगी।) 
प्रीति: में नहीं रह पाऊँगी तुम्हारे बिन अहमद। मेरे साथ ऐसा मत्त करो। (कहते हुए वो गिर गई।  डॉ से जांच करवाने पर पर पता लगा की प्रिया प्रेग्नेंट हो चुकी है। अब तो प्रीति का रो रो के बुरा हायाल था।)
अहमद: मुझे बहुत खुशी होती की हम ये बच्चा रख पाते। लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं। तुम इस बच्चे को अबॉर्ट करवा दो। 
प्रीति: नहीं ऐसा नहीं करवाना मुझे। तुम शादी करो मुझसे। 

अहमद: शादी तो में करूंगा ही पर अभी हालात हमारे फ़ेवर मे नहीं हैं। तुम समझो मेरी बात। इसे अबॉर्ट करवा दो। 
(हार कर प्रीति को अहमद की बात माननी पड़ी। उसे बच्चा अबॉर्ट करवाना पडा। प्रीति बहुत दुखी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे?)
प्रीति: अहमद में जा रही हूँ वापस अपने घर। कुछ दिन आराम करना चाहती हूँ। (प्रीति वापस घर आ गई, उसे समझ आ गया था की प्यार मांगने और दबाब बनाने से नहीं मिलता, अब जब अहमद को उसकी याद आएगी तभी अब वो बात करेगी )
(अब अहमद से बात बिल्कुल बंद हो चुकी थी। फोन तो उठता ही नहीं था। सोशल मीडिया पे भी उसे ब्लॉक कर दिया गया। जैसे तेसे किसी और नंबर से अहमद से बात हुई।)
 प्रीति: हैलो अहमद में प्रिया बोल रही हूँ। तुमने मुझसे बात करना क्यों बंद कर डी। सोशल मीडिया से भी ब्लॉक कर दिया। आखिर बात क्या है बताओ तो ?(रोते हुए प्रीति बोली) 

अहमद: ओ प्रीति में बहुत ज्यादा परेशान हूँ। अच्छा हुआ तुमने फोन किया। मेरे घर वाले मुझे बहुत परेशान कर रहे हैं, इसलिए मैने फोन बंद किया हुआ था। और सोशल मीडिया पर भी उनको तुम्हारे बारे में पता चल गया था। में नहीं चाहता था की वो लोग तुमको परेशान करें। इसलिए तुम्हें वहाँ से हट दिया। अच्छा एक काम करो , दिल्ली आ जो आखिरी बार तुमसे मिलना है, घर वालों को बता कर तुमसे शादी करनी है।बस ये आखिरी बार है।  तुम एक काम करना की दिल्ली आते ही कनात प्लेस पर आ जाना, में वही मिलूँगा । 

प्रीति दिल्ली पहुँचती है लेकिन मोबाईल बंद मिलता है। उसके घर का पुराना पता पर पहुँचती है वहाँ से भी सब गायब। उसके दोस्त भी । रात 11 बजे फोन करती हुई वो कनाट प्लेस पहुँचती है। लेकिन वहाँ कोई नहीं होता। वो बुरी तरह डरी हु होती है। पर सहायता करने वाला कोई नहीं होता। पास के पुलिस स्टेशन में जा कर सारी कहानी बताती है। वो लोग भी प्रीति को यही समझाते हैं की ऐसे रोज के केस आते हैं। आप घर जो। कोई नहीं मिलेगा यहाँ। प्रीति रो धो कर रह जाती है। लेकिन अब भी वो अहमद को गलत मानने को तैयार नहीं थी। उसने एक फेक आईडी से अहमद के असली घर का पता निकलवाया। और उसके असली घर पहुचती है। 
अहमद के घर में बहुत सारी औरतें हैं। एकदम भीड़ जैसी थी। अहमद की नानी, अम्मी, औसई, बुआ, बहनें कई भाभी। प्रीति कुछ समझती उससे पहले ही उसे बंदी बना लिया गया। उसे घसीटते हुए एक अंधेरे कमरे में ले गए। प्रिया बार बार एक ही बात पूछ रही थी- अहमद किधर है अहमद किधर है? 
अहमद की अम्मी: तु यहाँ क्यू आई? और क्या चाहती है ?
प्रीति: अहमद कहाँ है ये तो बताओ 
अम्मी: तु क्या चाहती है ये बात। 
बहुत देर तक इसी बात पे बहस चलती रही। किसी एक आदमी ने जोर से प्रीति के गाल पर थप्पड़ मारा। झन्नाटे हुए प्रीति जमीन पर गिर गई। पिछले 2-3 दिन से कुछ भी न खाने के कारण बहुत कमजोरी भी हो गई थी। देर रात जब नींद खुली तो उसने बात करते हुए पाया की उसे शमशान के पास काही ले जाने की बात कर रहे हैं वो लोग। अंदर आ कर बोले चलो अभी चलो अहमद से मिलवाना है तुमको। रात के करीब 3 बज रहे थे। 

प्रीति: आपको पता है की में पॉलिस में इन्फॉर्म कर के आई हूँ यहा। सुबह पुलिस पहुँचती ही होगी  
इतना सुनते ही सब चुप हो गए।  और तब जाना केन्सल कर दिया गया। शायद शमशान के पास प्रिया को मारने का मन बना के ले जा रहे थे। पर किसी तरह वो बच गई। सुबह उसे दिल्ली ले जाया गया। जहां अहमद और उसके पिता पहले से थे। उसे बहुत सताया गया। पर वो भी मानने वाली नहीं हटी। उसे बस अहमद की जिद थी। और पूरा भरोसा की अहमद उसे कभी धोखा नहीं देगा। 
दिल्ली में जिस जगह प्रीति को ले जाया गया वो कोई अच्छी जगह नहीं थी। वहाँ उसे अपने पिता को बुलाने का दबाब बनाया गया। प्रिया के मन करने पर उसे मारा गया। उससे फोन छीन लिया गया। और उसके पिता को फोन करके बताया गया की  तुम्हारी लड़की बहुत गिरी हुई है । गंदी गंदी गालियां दी गई।  इन दिनों हमारे लड़के के पास है। और भी न जाने कितने लोगों के संपर्क में रही है। आपने अपनी बेटी को अच्छी परवरिश नहीं दी। उसका अबोरशन भी हमने करवाया। 

प्रीति चीखती रही, नहीं ये झूठ है पापा। मैने ऐसा कुछ नहीं किया। ये लोग झूठ बोल रहे हैं। 
तब तक अहमद की अम्मी ने आकर उसका मुंह दबा दिया। और एक कमरे में बंद कर दिया। अहमद रोज उसके शरीर को जानवरों की तरह नोचता। 
 अम्मी:   मेरा बेटा मर्द है मर्द । मर्दों का यही काम होता है। तुम जैसी न जाने कितनी लड़कियों के पेट से  उसके बच्चे हो चुके हैं। तु कोई अकेली नहीं है। ज्यादा नाटक मत् कर। 

प्रीति: मेरे घर वालों से मेरी बात करवा दो एक बार 
अहमद: अब क्या करोगी बात करके 
और एक दिन उसी बंद कमरे में  प्रीति का अहमद के संग निकाह पढ़  दिया गया। इस बार  प्रीति फिर प्रेग्नेंट थी। अहमद और उसकी माँ ने उसके पेट में लातें मार मार कर उसका गर्भ गिर दिया था। 
प्रीति अब शबाना हो गई थी। उसे वही पुराने दिनों की शबाना की कहानी याद आई, जो अहमद ने उसे सुनाई थी। 
 
प्रीति: ओ तो  तुमने उसके साथ भी ऐसा ही किया था। अब समझ आया मुझे। 
अहमद: अब तु कुछ नहीं कर पाएगी। कहीं मुह दिखने लायक भी नहीं बची है। इससे अच्छा है की तु इसे एक्सेप्ट कर ले। 
 
प्रीति जो अब शबाना बन चुकी थी, पूरी तरह अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर चुकी थी। उससे उसका सब कुछ छिन गया था। उसके माता पिता ने अब उसे ढूँढना भी बंद कर दिया था। रोज अपना शरीर परोसना, मार खान और सबके लिए खाना बनाना। यही काम रह गया था। 

अपने प्रेम को याद कर कर के प्रिया बहुत रोती  थी। माँ बाप और बाकी लोगों की काही बातें   याद आती। पर अब उसे अपने किये पर सिवाय पछतावे के कुछ और नहि बचा  था। उसने अहमद को बहुत समझआया की मुझे जाने दो। में फिर कभी तुम्हारी ज़िंदगी में नहीं आऊँगी। पर अब वापसी भी संभव नहीं थी। 
 
प्रीति एक साल तक ये सब सहती रही। कई बार  रूह कंपाने वाली आवाज़ें उस घर से आती रही। बहुत मारा जाता था प्रिया को। सबने अपने अपने तरीके से उसे दुख दिया। प्रिया अब एक जिंदा  लाश बन गई थी।  

वैसे उसे एक अंधेरे कमरे में ही रखा जाता था। जहां से उसे बस्स खाना बनाने और घर के कामों के लिए ही बाहर निकाला जाता था। एकदिन  प्रीति उस चंगुल से भागने में सफल हुई। और दो-तीन दिन में अपने घर में पहुंची। घर वालों ने देखा तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। प्रिया को इस हालत में देख कर सबके होश उड़द गए। प्रीति तो घर में कदम रखते ही बेहोश हो गई। उसे डॉक्टर को दिखाया गया। बहुत लंबे समय तक उसका इलाज चला। मानसिक रोगी हो चुकी प्रीति को करीब 1 साल लगा सामान्य  होने मे। पूरी तरह तो वो अब भी ठीक नहीं। जिंदगी ने उसे तोड़ कर रख दिया। उसके अनुभव इतने कडवे हो गए की अब वो चुप अकेली ही रहना पसंद करटी है। 
सपने में भी अहमद और उसका परिवार उसे डर जैसे महसूस होते थे। कितनी रातो वो इसी डर में सोती नहीं की फिर वो उसे न ले जाएँ। 

एक अच्छी पढ़ी लिखी लड़की का जीवन किस तरह बर्बाद किया गया। ये सब सबक लेने  की बात है। कुछ भी हो पर जरूरत से ज्यादा किसी का अच्छा होना, और उस पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेने ठीक नहीं। और तब तो बिल्कुल नहीं  जब वो दूसरे कट्टर धर्म से हो।

- डॉ प्रभात पाऺडेय
भोपाल

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