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एक संगीतमय नज़राना 'चलो चाय पे गुनगुनाते हैं'



नागपुर। वैशु'ज़ म्यूज़िकल वर्ल्ड का एक और अनोखा संगीतमय कार्यक्रम 'चलो चाय पर गुनगुनाते हैं', बेहद सफल रहा। 

इस कार्यक्रम की संकल्पना संगीतकार राज चौधरी की रही। सबसे पहले वैशु'ज़ म्यूजिकल वर्ल्ड की निर्देशिका वैशाली मदारे ने सभी दर्शकों का शब्द सुमन से स्वागत किया। 

कार्यक्रम में वरिष्ठ संगीतज्ञ श्री. जयंत जोशी और राहुल गुप्ता प्रमुखता से उपस्थित रहे। इस अनोखे कार्यक्रम में सभी उपस्थितों को चाय के साथ-साथ मधुर तराने से कार्यक्रम की शाम को सजाया गया। 

जिसमें 'तुमको देखा तो यह ख्याल आया' सुमधुर गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तत्पश्चात, श्याम डाहाके ने 'खिलते हैं गुल यहां', 'लाखों है निगाह में', नंदकिशोर मुले ने 'वो शाम कुछ अजीब थी', 'दिल जो न कह सका', 

विरेश सोलंके ने 'ये रात ये चांदनी फिर कहां', 'माना जनाब ने पुकारा नहीं', अपूर्व जोशी ने 'मेरी सांसों में बसा है', 'हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी', रवि सहारे ने 'जीवन से भरी तेरी आंखें', 'चंदन सा बदन', डॉ. नंदिनी खाडे ने 'जा रे उड़ जा रे पंछी', 'आवाज दो हमको', 

रजनी बांदरे ने 'धीरे धीरे मचल', 'जाने जा ढूंढता फिर रहा', वैशाली मदारे ने 'रोज रोज आंखों तले', और 'नैनों वाले ने वाले ने', राज चौधरी ने 'भंवरे की गुंजन' और दर्शकों के अनुरोध पर 'प्यार हुआ इकरार हुआ' तथा अन्य युगल गीतों में 'यह मौसम रंगीन समां, 

हाल कैसा है जनाब का, सारा प्यार तुम्हारा, दिल तो पागल है, शायद मेरी शादी का ख्याल, जैसे युगल गीतों से एक यादगार शाम बन गई. कार्यक्रम में विनोद पांडे, गुणवंता, महेश नवघरे, शैलेश जनबंधु आदि ने सहयोग किया। 

चाय के संदर्भ से सराबोर कुशल संचालन राज चौधरी ने किया। सभी उपस्थित दर्शकों का आभार कार्यक्रम की आयोजिका वैशाली मदारे ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।
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