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'विदर्भ की रेटिना सोसाइटी' का 2 से 4 दिसंबर तक वार्षिक सम्मेलन


नागपुर। विट्रियो रेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया, रेटिना और विट्रियस रोगों में सुपर स्पेशलिस्ट से संबंधित सुपर स्पेशलाइज्ड संगठन है। 

इस सोसायटी का गठन वर्ष 1992 में 20 विट्रो-रेटिनल सर्जनों के एक छोटे समूह के साथ किया गया था, जो अब पूरे भारत में 1500 आजीवन सदस्यों तक पहुंच गया है। वर्तमान शासी निकाय के अध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. एन. एस. मुरलीधर, सचिव डॉ. मनीषा अग्रवाल और अध्यक्ष वैज्ञानिक समिति डॉ. महेश शनमुघम हैं। 

2 से 4 दिसंबर तक विदर्भ की रेटिना सोसाइटी इस वर्ष विट्रियो रेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 31वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन अध्यक्ष डॉ. सुलभा देशपांडे, सचिव डॉ. प्रशांत बावनकुले, अध्यक्ष वैज्ञानिक और व्यापार समिति डॉ. आनंद पांगारकर, सह-अध्यक्ष वैज्ञानिक और व्यापार समिति डॉ. अजय अम्बाडे, अध्यक्ष स्वागत एवं आतिथ्य समिति डॉ. प्रशांत अग्निहोत्री, सह-अध्यक्ष स्वागत एवं आतिथ्य समिति डॉ. राजेन्द्र विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ. शशांक बिदये, संयुक्त सचिव कोषाध्यक्ष डॉ. राहुल तिवारी और डॉ. शमिक आंबटकर, संयुक्त सचिव सचिव डॉ. शमिक मोकदम, डॉ. शिल्पी नारनवारे एवं शेष कार्यकारीणी है।

वैज्ञानिक कार्यक्रम डॉ. महेश शणमुघम द्वारा तैयार किया गया है, जिसकी पेशकश करने के लिए
विविधता में बहुत रुचि है - राष्ट्रीय संकाय द्वारा व्याख्यान, 'विदेश के अतिथि वक्ताओं द्वारा लाए गए विदेशी अनुभव अर्थात् डॉ श्रीनिवास साड्डा, डॉ शोभा शिवप्रसाद, डॉ रोमानो आंद्रे, डॉ राजीव मुनि, डॉ जय छबलानी, डॉ अजोय विन्सेंट, डॉ हसन मोर्तदा, डॉ. हैनी हमजा, डॉ. माइकल डब्ल्यू. स्टीवर्ट, डॉ. बारबरा पारोलिनी, डॉ. सेंगुल ओजडेक, डॉ. पृथ्वी मृत्युंजय 'स्टार आकर्षण' हैं, पैनल चर्चा, नए को व्यक्त करने, साझा करने, सीखने, अनुकूलित करने और तकनीकी अपनाने का अवसर देगी। विशेष पुरस्कार सत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं - पुरस्कार विजेताओं के लिए एक सम्मान होता है। ये पुरस्कार हैं 1. लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड।
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