विश्वस्तर पर एक समान हो यातायात के नियम
भारत में 200 वर्ष पुराने ट्रैफिक रूल्स से बढ़ी दुर्घटनाएं
नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। विश्व के कुल 239 देशों में से यूरोप सहित 163 देशों की सड़कों पर दाहिने दिशा का प्रयोग किया जा रहा है. वहीँ दुसरी तरफ ब्रिटैन, आयरलैंड, सायप्रस, हांगकांग, भारत सहित 76 देशों की सड़कों पर बाएं तरफ से चलने के नियम है. जहाँ तक भारत देश का सवाल है यहाँ का संविधान ब्रिटिशकालीन है.
गत 75 वर्षों में 14 राष्ट्रपति, 14 प्रधानमंत्री के बाद वर्तमान में 15 वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के इस आधुनिक युग में अनेक बदलाव हुए है.परिवर्तन संसार का नियम है.
भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जानेवाले समूह में अधिकांश 16 वर्ष से कम उम्र के बालक, बालिकाएं होते है. कुछ वर्षों से युवा भी दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे है. जिसका मुलभुत कारण सड़क पर पैदल चल रहे लोगों के लिए उचित व्यवस्था का ना होना है. आज सड़कों के फुटपाथ नदारद है. अलग से दुपहिया, तिपहिया, चारपहिया वाहन के ट्रैक नहीं होने से दुर्घटनाएं हो रही है. अब जरुरत है प्राथमिक शालाओं में सड़क पर चलने के अनुशासन, नियम की शिक्षा के पाठ्यक्रम की.
जहाँ फूटपाथ ना हों वहां सामने से आनेवाले ट्रैफिक की तरफ मुंह कर चलने के नए नियम की जरुरत है. ताकि यह पता लगे कि सामने से कौनसा वहां वाहन आ रहा है. आज जरूरत यह भी है कि कोई वाहन सावधानी से नहीं चला रहा है. तो सड़क पर चलने वाला अपना बचाव कर सके. यदि हम बाएं पीठ करके पैदल चल रहे होते है. तो लापरवाही से पीछे से आ रहे वाहन से दुर्घटना का शिकार हो सकते है. भारत जैसे देश में करोड़ों पैदल चल रहे लोगों, साइकिल के लिए अलग से व्यवस्था नहीं है.
आज स्कूल, कार्यालय, बाजार आवागमन कर रहे नागरिकों में बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों को सोच समझकर घर से सड़क पार करने के लिए विचार करना पड़ रहा है. भारत सरकार को सभी राज्य सरकारों के यातायात, पुलिस कमिश्नर और सभी संबंधित अधिकारियों को विश्वास में लेना होगा. साथ ही पैदल सड़क पार करने, बिना लाइसेंस की साइकिल, रिक्शा,मैक्सी कैब जैसे वाहन चालकों के सड़कों पर चलने के तरीके में अभूतपूर्व सुधार लाना होगा. साथ साथ दाएं, बाएं रास्ता पार करने, ज़ेबरा क्रासिंग, सिग्नल की अनदेखी के हो रहे गलत तरीकों में परिक्षण, प्रशिक्षण, साप्ताहिक सड़क सुरक्षा जैसे प्रयोगिक कार्यक्रम पर भी विशेष ध्यान देना होगा.
2022 के आधुनिक युग में 1756 के ब्रिटिश ट्रैफिक कानून को भारत की सड़कों पर सुरक्षा चक्र से ही बदला जा सकता है. जिससे कि भविष्य में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार हो और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. पश्चिम के करीब 163 देशों की यातायात व्यवस्था की नई प्रणाली की तरह भारत में भी दुर्घटनाओं को रोकना आवश्यक है। सड़कों पर यातायात प्रशिक्षकों, सिपाहियों की नियुक्तियां नए सिरे से की जाये.