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'अनुभवों का गुलदस्ता' ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण


नागपुर। ग़ज़लेतिहास में स्वर्णिम क्षणों की आमद हुई जब श्री रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे 'रास' द्वारा रचित ग़ज़लों की किताब 'अनुभवों का गुलदस्ता' विमोचित हुई।लोकार्पण विधि को अनूठी दीप्ति से साकार किया। कार्यक्रम अध्यक्ष डाॅ सागर खादीवाला,मुख्य अतिथि डाॅ तेजिन्दर सिंह रावल तथा विशेष अतिथि श्रीमती इन्दिरा किसलय ने। रश्मि मिश्रा की मधुर सरस्वती वंदना, सदन को मोहित कर गई।

प्रथमतः सत्कारमूर्ति 'रास' ने अपने सृजन क्षणों की दास्तां सुनाई। यह उनका तीसरा ग़ज़ल संग्रह है।वे मराठीभाषी होते हुये, नौकरी के सिलसिले में प्रदेश की सीमाओं के पार विविध अनुभवों से समृद्ध होते हुये ग़ज़ल लेखन को प्रवृत्त हुये।

डाॅ. सागर खादीवाला ने उनके वैचारिक विश्व, भाषायी अनुशासन एवं सहज शैली की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने अपनी एक शैली विकसित की है, उसका परिणाम है कि नाम पढ़े बिना उनके कृतित्व को पहचाना जा सकता है।कहा कि अगर विवेच्य कृति का नाम उन्हें, रखने कहा जाता तो उसे वे 'जंगल के ज़ज़्बात' नाम देते।

डाॅ. तेजिन्दरसिंह रावल ने कहा कि मराठी, अंग्रेजी तथा अन्यान्य विदेशी भाषाओं में भी ग़ज़लें  लिखी जा रही हैं। ग़ज़ल एक अत्यन्त लोकप्रिय विधा है।इसकी लोकप्रियता में हिन्दुस्तानी (सरल सहज हिन्दी) का अमूल्य योगदान है।

श्रीमती इन्दिरा किसलय ने साठोत्तरी ग़ज़लों के परिप्रेक्ष्य में दो बदलाव रेखांकित किये। पहला अरबी फारसी की दुरूह शब्दावली से मुक्ति, दूसरा जमीनी सच से सामना। दुष्यन्तकुमार से प्रारंभ यह युगबोध परवर्ती ग़ज़लकारों में विद्यमान है। उसी श्रृंखला में रास भी शामिल हैं। 

अविनाश बागड़े ने प्रसंगवश 'अविशा प्रकाशन' से प्रकाशित पचास से ऊपर कृतियों का ज़िक्र किया।साथ ही रास की रचनात्मकता एवं प्रकाशन पथ पर प्रकाश डाला। रास के सम्मान में कहा -
'रोजमर्रा जिन्दगी से रूबरू होती ग़ज़ल।
जुस्तजू ये, इल्तजा ये, आरज़ू होती ग़ज़ल।'
श्रीमती पूनम मिश्रा 'पूर्णिमा' ने सहज सरस अंदाज़ में संचालन कर श्रोताओं को बाँधे रखा।

इस अवसर पर समस्त गणमान्य मेहमान सर्वश्री सत्येन्द्रप्रसाद सिंह, संतोषकुमार पाण्डेय 'बादल', अनिल मालोकर, माधव बोबडे, प्रकाश  कामले, सी डी शिवणकर, जयंत पांडे, श्री बाबाराव कांबडे, श्री सूर्यवंशी, अमिता शाह, माया शर्मा, गीता वाडे, माधुरी राऊलकर, कृष्णकुमार द्विवेदी आदि ने अपनी उपस्थिति से कृतार्थ किया। अनिल मालोकर ने आभार निवेदित किया।
समाचार 876842540912504534
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