सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न अंग : प्रो. डॉ. अंजुमन आरा
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नागपुर/पुणे। सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न अंग एवं जरूरत बन चुका है। समाज में जागरूकता पैदा करने वाला यह एक सशक्त माध्यम भी है। इस आशय का प्रतिपादन प्रो. डॉ. अंजुमन आरा, रेवेंशा विश्व महाविद्यालय, कटक, उड़ीसा ने किया।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ‘सोशल मीडिया कितना उपयोगी कितना घातक’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी (128) में मुख्य अतिथि के रुप में वे अपना उद्बोधन दे रही थी।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। प्रो. डॉ. अंजुमन आरा ने आगे कहा कि एक तरफ सोशल मीडिया की उपयोगिता को हम नकार नहीं सकते और दूसरी तरफ वह घातक भी सिद्ध हो रहा है।
लॉक डाउन के दौरान स्मार्ट फोन के जरिए विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित नहीं रखा गया। विचार, सामग्री, सूचना और समाचार आदि को सोशल मीडिया बहुत तेजी से व्यक्ति विशेष से साझा करता है। वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इसने प्रदान की है।
इन सकारात्मक पहलुओं के बावजूद हम सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलू को इनकार नहीं कर सकते। साइबर अपराध, सांप्रदायिकता, झूठ, फरेब आदि का भी इसके माध्यम से प्रचार-प्रसार हुआ है। एक दूसरे से अपरिचित अनजान लोगों के बीच यूट्यूब पर वाक् युद्ध छिड़ा है। सोशल मीडिया बच्चों को भी गुमराह कर रहा है।
गेम खेलकर बच्चे स्वयं का भविष्य बिगाड़ रहे हैं। श्रीमती सुवर्णा अशोक जाधव, मुंबई ने इस अवसर पर कहा कि एक सिक्के की तरह सोशल मीडिया के सकारात्मक व नकारात्मक ऐसे दो पहलू हैं। युवा वर्ग में आत्महत्या बढ़ रही है, किसी का बैंक बैलेंस चला जाना आदि सोशल मीडिया के दुरुपयोग के कारण ही।
डॉ. सुधा सिन्हा, पटना, बिहार ने कहा कि मोबाइल के कारण दुनिया अब हमारी मुट्ठी में है। सोशल मीडिया के कारण हमारे दूरस्थ रिश्तेदार नजदीक आए हैं तो दूसरी तरफ परिवार के सदस्य दूर हो रहे हैं। डॉ. सुरेखा मंत्री, यवतमाल, महाराष्ट्र ने कहा कि सोशल मीडिया परंपरागत मीडिया से अलग है| जिसमें अच्छाई के साथ बुराई भी जुड़ी हुई है।
प्रारंभ में विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने प्रस्तावित भाषण में कहा कि सोशल मीडिया पर आने वाली सूचनाओं की परख होनी चाहिए। बच्चों के लिए तो सोशल मीडिया घातक सिद्ध हो रहा है। सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है।
डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख पुणे, महाराष्ट्र (अध्यक्ष हिंदी विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज उत्तर प्रदेश) ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया होते हुए भी उसके पास विशाल नेटवर्क है,जो समस्त विश्व को आपस में जोड़ने की अद्भुत क्षमता रखता है। सोशल मीडिया पर सूचनाओं का आदान - प्रदान तेज गति से होता है, परंतु सोशल मीडिया पर निरंतर जुड़े रहने से पति - पत्नी में संघर्ष, घरेलू हिंसा तथा विवाह विच्छेद जैसी पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। परिणामतः अ स्थिरता, असुरक्षा व अविश्वास जैसे नकारात्मक पहलू उभर कर सामने आ रहे हैं। हमारी पीढ़ी संवाद हीन पीढ़ी में परिवर्तित हो गई है। क्योंकि परिवार में संवाद समाप्त हो गए हैं।
सोशल मीडिया ने सत्य-असत्य के भेद को मिटा कर मनुष्य को मशीन बना दिया है।
राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी का शुभारंभ श्री. लक्ष्मीकांत वैष्णव, चांपा, जांजगीर, छत्तीसगढ़ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। संस्थान के महाराष्ट्र प्रभारी डॉ. भरत शेणकर, राजूर, महाराष्ट्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। गोष्ठी का सुंदर व सफल संचालन संस्थान की हिंदी सांसद व छत्तीसगढ़ प्रभारी डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने किया। श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव ‘शैली’ रायबरेली, उत्तर प्रदेश ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
गोष्ठी में डॉ. प्रतिभा येरेकर, नांदेड, डॉ. नजमा बानू मलेक, गुजरात, प्रा. मधु भंभाणी, नागपुर सहित अनेकों की गरिमामय उपस्थिति रही।