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'भ्रामक विज्ञापनों पर शीध्र रोक लगे' विषय पर हुआ वेबिनार


देश विदेश के प्रबुद्ध व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए

नागपुर। राम जानकी संस्थान का आनलाइन वेबिनार बहुत ही प्रभावशाली ढंग से आयोजित किया ‌गया। इस वेबिनार में देश तथा विदेश से आए सभी प्रबुद्ध व्यक्तियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए जो 'भ्रामक विज्ञापनों' पर शीध्र रोक लगाने के लिए एक मत से थे, बहुत ही गंभीर व महत्वपूर्ण सभी के विचार रहे क्योंकि आज इस प्रकार के भ्रमित विज्ञापनों से की उपभोक्ता पीड़ित हैं, कई आकर्षक व लुभावने रुप से जनता को बरगला कर उनको बेवकूफ बना उन्हें भावनात्मक रूप से लूटा जा रहा है जिससे भोले भाले उपभोक्ताओं को भंयकर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।आजकल ऐसे भ्रामक विज्ञापनों की बाड़ ही आगी है।


इस अवसर पर आर.जे.एस एडवाइजर प्रो.बिजान कु.मिश्रा, फ़ार्मा सिस्ट व पेशेन्ट सेफ्टी एंड एक्सेस इंडिया फाउंडेशन के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल डी सेठ रंजन बेन, संस्थापक मुख्य अतिथि पारितोष जोशी सदस्य--- ए.एस.सी.आई, उदय - भवानी सी.ई.आर.सी.के. सी.ई.ओ. अहमदाबाद, उपस्थित रहे उन्होंने अपना वक्तव्य दिया। उदय मन्ना संयोजक तथा बैंक से निवृत्त सरोज गर्ग उपस्थित रहे। नागपुर महाराष्ट्र से भी - लगभग आठ  महिलाएं इस बेबिनार में अपने ही भ्रामक विषय के साथ वे उपस्थित रही सभी ने - विषय पर विश्लेषणात्मक रुप में बोल विचार रखे। 

नागपुर महाराष्ट्र से आई रति चौबे जो एक समाजसेवी, कवियित्री, लेखिका एडवोकेट, लेक्चरर तथा कई संस्थाओं की अध्यक्ष हैं उन्होंने कहा की किसी भी विज्ञापन की स्पष्ट रुप से जानकारी ना देने से ही उपभोक्ता के लिए बड़ी समस्या  हो जाती है जैसे 'फ्यूचर ग्रूप' जिसे बिग-बाजार के नाम से लोग जानते हैं उन्हीं का सेन्ट्रल माल'और की कम्पनियां फिलहाल बंद है क्योंकि 50 प्रतिशत छूट बड़े अक्षरों में लिखते और अपटू छोटे में इससे पेमेंट के समय विवाद होने से झगड़े 'कंज्यूमर फोरम' जाते इसलिए सरकार को स्थान स्थान पे कंज्यूमर प्लेटफार्म बनाने चाहिए ताकी ग्राहकों में भी जागरूकता आए तभी जागो ग्राहक जागो - ग्राहक वाक्य चरितार्थ हो और ग्राहक भ्रमित होने से बचें। 

कल्याण से आई मनोविशेषज्ञ अलका चौबे, जो गांवों व शहरों में क्रियाशील है उन्होंने कहां कहीं भी उन्हें उन दवाओं के विषय में जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उनकी एवेरनेस के जागरूक करने को जनता को चेतना स्वरुप लिखित में नहीं दिखा जिससे वे चेते डॉ स्वर्णिमा सिन्हा जो एक साहित्यकार व समाजसेवी वह आर्युवेदिक चिकित्सक हैं उनका उन अश्लील जीन्स की ओर विरोध था जो उत्तेजना करती दिलाई जिन्स हैं ऐसे पहनावे वालै उन विज्ञापनों पर रोक हो।

रेखा पांडे नागपुर से आई व्यंजन विशेषज्ञ, लिम्का बुक में जो अंकित है वो क्लिनिक प्लस 'तुम स्टा्ग हो'पर कहा यह भ्रमित विज्ञापन है क्या छोटी छोटी हो वो बच्ची इससे बाल धोकर  इसे प्रयोग में लाकर स्टा्ग बन जावेगी,यह बच्चों के ललिये भ्रामक विज्ञापन है सुरेखा खरे ने परफ्यूम जो भ्रमित करते हैं उनके विज्ञापन उन पर रोक का प्रस्ताव ‌रखा। अन्य डा. चित्रा तूर नागपुर व कर्नाटक से भगवती पंत श्रोताओं में रहें। अंत मे नागपुर महाराष्ट्र की ही सरोज गर्ग ने कहा कि जब तक इन भ्रामक विज्ञापनों पर रोक नहीं लगेगी तब तक समस्याएं बढ़ती जावेगी कह कर सबका आभार प्रदर्शित किया।

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