मॉडर्न कॉलेज हिंदी विभाग का कृतज्ञता ज्ञापन समारोह संपन्न
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नागपुर/पुणे। प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसाइटी संचालित मॉडर्न कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय (स्वशासी), शिवाजी नगर पुणे के हिंदी विभाग का कृतज्ञता ज्ञापन समारोह हाल ही में संपन्न हुआ। महाविद्यालय का हिंदी विभाग स्वर्गीय शंकरराव कानिटकर हिंदी विभागीय ग्रंथालय का निर्माण कर रहा है। हिंदी विभाग ने अब तक 2000 ग्रंथों का संकलन पूर्ण किया है। समारोह के आरंभ में हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. प्रेरणा उबाले ने हिंदी विभाग तथा ग्रंथालय की जानकारी प्रस्तुत करते हुए सभी का हार्दिक स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रो. कांति देवी लोधी (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, नौरोसजी वाडिया कॉलेज, पुणे), डॉ. शहाबुद्दीन शेख (पूर्व प्राचार्य, लोकसेवा महाविद्यालय, औरंगाबाद), डॉ. गोरख थोरात (अध्यक्ष, हिंदी विभाग, स. प. महाविद्यालय, पुणे), श्री. शरदेंदु शुक्ला (ख्यातनाम हिंदी हास्य व्यंग लेखक व कवि, पुणे) तथा डॉ. रमेश गुप्ता ‘मिलन’ (वरिष्ठ साहित्यकार व गीतकार, पुणे) की विशेष उपस्थिति रही। सभी महानुभावों का सम्मान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंझारराव के कर कमलों से किया गया।
इस अवसर पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेरणा उबाले सहित प्रा.असीर मुलानी व प्रा.संतोष तांबे की उपस्थिति रही। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.राजेंद्र झुंझारराव ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि, 1937 में स्थापित प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसाइटी से संचालित मॉडर्न कला,वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय, शिवाजी नगर, पुणे 1970 को आरंभ हुआ। वर्तमान में सोसाइटी का विस्तार 67 शाखाओं तक पहुंच गया है। मॉडर्न महाविद्यालय में 25 विभाग कार्यरत है, जिसमें हिंदी विभाग की भागीदारी सराहनीय है |
महाविद्यालय में विभागीय विकास के लिए विभागीय सलाहकार समिति होनी चाहिए, जो वर्ष भर में से कम से कम दो बैठकों के माध्यम से चर्चा सहित सुझाव रखेगी। हमारे इस महाविद्यालय के विद्यार्थी की संख्या 12400 है | 23 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तथा 14 शोध केंद्र है | सरकार से भी बहुमात्रा में अनुदान प्राप्त है। विशेष उल्लेखनीय है कि हमारे महाविद्यालय में 85 दृष्टि बाधित विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिन्हें महाविद्यालय एंजेल प्लेयर प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्यार्थी भी हमारे यहां पढ़ रहे हैं।
महाविद्यालय में प्रोटोकॉल का पालन बहुत कम पर पारिवारिक वातावरण निरंतर बना रहता है, जिसमें कृत्रिमता को कदापि स्थान नहीं। भविष्य में हमारा यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय बनने हेतु प्रगति पथ पर अग्रेसर है। बाद में प्राचार्य महोदय ने कविता पाठ किया। अंत में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेरणा उबाले ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।