विश्व मे हिंदी सीखने का रुझान बढ़ा : निशा चावला
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नागपुर। आ गया वो दिन 14 सितंबर जिसमे हम हिंदी को याद करेंगे। पूरा साल हम कहते है अपडेट रहे, अंग्रेजी में बात करे।
मुझे इस बात पर स्वामी विवेकानंद की बात याद आती है, 'तोता दूसरो की भाषा बोलता है।
इसलिए पिंजरे में रहता है, और कोयल अपनी भाषा बोलती है, इसलिए स्वतंत्र रहती है।'
स्वामीजी से कोई अंग्रेजी में प्रश्न पूछता तो हिंदी में जवाब देते, और कोई हिंदी में प्रश्न पूछता, तो वो अंग्रेजी में जवाब देते। एक विदेशी ने इस बात का राज जाने की इच्छा जाहिर की। तब उन्होंने कहा कि जब आप अपनी भाषा में प्रश्न में पूछते तो मैं अपनी भाषा में उतर दिया। लेकिन जब अपने मेरी भाषा का मान रखते हुए मेरी भाषा में प्रश्न पूछा,
मैंने आपकी भाषा का मान रखते हुए अंग्रेजी में उतर दिया। इसे यह बात साबित होती है की ज्यादा से ज्यादा भाषा का ज्ञान होना चाहिए। पर भाषा में मतभेद नहीं होना चाहिए। हिंदी में 64 लाख से ज्यादा शब्द है।
हिंदी एक वैज्ञा निक भाषा है। जो संस्कृत, उर्दू, अलंकार, समास से सुसज्जित भाषा है। आज की युवा पीढ़ी को भाषा हिंग्लिश हो गई है। जो दो भाषा का मिश्रण है। विश्व में हिंदी सीखने वालो की संख्या बढ़ते जा रही है।
गूगल में भी कई वेबसाइट है , जो हिंदी का ज्ञान बड़ा रही है। हिंदी बोलने में हमे गर्व महसूस करना। चाहिए। न की ग्लानि।
'बिछड़ जायेगे, अपने हमसे अगर ये मिलावटी भाषा टिक जायेगी' मिट जायेगा वजूद हमारा, अगर हिंदी मिट जायेगी'
हमारी शिक्षा पद्धति कुछ इस प्रकार की हो गई हैं, जिसमे हिंदी को अनिवार्य न करते हुए, वैकल्पिक विषय रखा गया है। आओ हिंदी का मान बढ़ाए,