Loading...

बालाघाट जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं : डाॅ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार



नागपुर/बालाघाट। पुरातात्विक धरोहर सर्वाधिक मात्रा में बालाघाट जिले में जर्जर अवस्था में बिखरे हुए हैं। तात्कालिक अंग्रेज सरकार ने 6 स्थल 1914 में संरक्षित किये थे, वर्तमान में केन्द्र सरकार के अधीनस्थ लांजी का किला, कोटेश्वर मंदिर, 

बैहर का शिव मंदिर (जोड़ा मंदिर), गढ़ी का किला, सोनखार में 53 नग पाषाण प्रतिमाऐं जो सदा भादा के नाम से रायगढ़ (पिपरवारा) में मंदिर। राज्य सरकार ने  1988 को हट्टा की बावली, 2019 में धनसुवा का गोंसाई मंदिर ही आधिपत्य में लिया हैं। 
शेष असंरक्षित पुरातात्विक स्थल बालाघाट तहसील में गोमजी-सोमजी, शंकरगढ़, माँ ज्वाला देवी पायली, नरसिंह मंदिर लामटा, ध्वस्त भग्नावशेष मऊ - चांगोटोला, राजोबा देव मगरदर्रा पहाड़ी, लालबर्रा तहसील में कव्हरगढ़,  वारासिवनी तहसील में राम मंदिर रामपायली, तिरोड़ी तहसील में शिव मंदिर, सतीटोला, 

कटंगी तहसील में शिव मंदिर जाम, देवी मंदिर बाहकल, किरनापुर तहसील में किरनाई मंदिर तथा लांजी, बैहर तहसीलों में अन्य पुरातत्व अवशेष जिनकी सूची संस्कृति मंत्रालय में संरक्षित करने की कार्यवाही हेतु भेजी गई हैं। 

इन स्थलों का विकास किया जायेगा, तो पुरातत्व एवं इतिहास में उच्च शिक्षा प्राप्त कर भटक रहें, बेरोजगारों को रोजगार मिल जायेगा तथा पर्यटन स्थल बनने की अपार संभावनाएं हैं। 

तथागत विचार आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर", संग्रहाध्यक्ष, इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय ने व्यक्त करते हुए कहा कि पुरातत्व के साथ ही शंकरघाट, बजरंगघाट, जागपुर घाट, गायखुरी घाट में आकर्षित घाटों का निर्माण किया जाता हैं, तो विशाल रुप में पर्यटकों को वृहद स्तर पर सुविधाएँ उपलब्ध होगी और बालाघाट जिले का नाम पर्यटन में अपनी एक अलग महत्व होगा। 

प्रति वर्ष 27 सितंबर को जिले के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों पर विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता हैं। पुरातत्व संग्रहालय में 14 से 27 सितम्बर तक हिन्दी दिवस पखवाड़ा मनाया जा रहा हैं। जिसका समापन 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस पर दोपहर 3 बजे से सादगी पूर्वक मनाया जाएगा। 
समाचार 6550103745055514980
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list