डॉ. मुहम्मद आज़म की दो कृतियों का विमोचन
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नागपुर/अहमदनगर। हिंदी-मराठी सहित अनेक भाषाओं के ज्ञाता व गहन अध्येता तथा अहमदनगर महाविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. आज़म मुहम्मद की दो मराठी कृतियों का विमोचन उनके अपने निवास स्थान पर बड़े उत्साह पूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। प्रसिद्ध लघुकथा लेखिका डॉ. लता अग्रवाल, भोपाल के हाथों कृतियों का विमोचन हुआ।
इस अवसर पर विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज तथा डॉ. मुहम्मद आज़म के प्रिय शिष्य व विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र विशेष रूप से उपस्थित थे।
दखनी भाषा का आद्य काव्य ग्रंथ ‘कदमराव पदमराव’ में साहित्य अकादमी पुरुस्कार प्राप्त डॉ. मुहम्मद आज़म ने अपनी सूक्ष्म शोध दृष्टि से दखनी और मराठी के अनुबंध को दर्शाते हुए उसका भाषा वैज्ञानिक अनुशीलन व अध्ययन किया है।
अतः डॉ. आज़म की यह अद्वितीय शोध कृति है। इसे साहित्य अकादमी, दिल्ली ने पुरस्कृत किया है। उनकी दूसरी मराठी कृति ‘नमाज: रहस्य व तत्वज्ञान’ है, जिसमें इस्लामी भक्ति पद्धति का समग्र विवेचन पाया जाता है।
विमोचन के पश्चात लघु कथा लेखिका डॉ. लता अग्रवाल, भोपाल ने कहा कि डॉ. मुहम्मद आज़म के पास ऐतिहासिक महत्व का अटूट साहित्य है। 'कदमराव पदमराव' यह कृति दखनी - मराठी के भाषा विज्ञान पर एक बृहद संदर्भ ग्रंथ है। 701 पृष्ठों की यह कृति दुर्लभ ग्रंथ है। दखनी का व्याकरण एवं भाषिक सर्वेक्षण के दखनी काव्य और कथा का इसमें समावेश है। एक उदाहरण प्रस्तुत है :
घड़ी खांड का सुख मद्य पीवनां
खुमारी करा दुख ले जीवना।
उनकी दूसरी मराठी कृति 'नमाज: रहस्य व तत्वज्ञान' में नमाज को लेकर विस्तृत तत्व प्रस्तुत है। डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज ने कहा कि डॉ. आज़म साहब का साहित्य वास्तव में शोध के मार्ग को प्रशस्त करता है।
डॉ. शहाबुद्दीन शेख, पुणे ने कहा कि 87 वर्ष की अवस्था पार कर चुके डॉ. साहब का व्यक्तित्व अध्ययन, मनन व चिंतन के साथ-साथ भाषा, साहित्य व अध्यात्म के लिए आज भी समर्पित है। उनके दीर्घ जीवन, सुंदर स्वास्थ्य व अधिकाधिक शक्ति के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं।