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पक्षियों एवं मूक जानवरों की सुरक्षा भी जरुरी



नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। हाल ही में भारत सरकार की तरफ से जंगली चिते मंगवाए गए है. भारत ही नहीं विश्व में शेर, चीता,बाघ और अन्य प्राणियों की नस्ल दुर्लभ हो रही है. 

पालतू प्राणियों में गाय, बैल, भैस, हाथी, घोडा, मोर, तोता के अलावा अन्य उड़नेवाले पक्षियों की तरफ भी ध्यान देना जरुरी है.कुछ वर्षों पूर्व साधारण चिड़िया, मोर, कौवे देशभर में सुबह शाम कलरव करते दिखाई देते थे.जबसे देशभर के शहरों, गावों में निर्माण कार्य, आंधी,तूफान आना शुरू हुआ. 

तब से लेकर अनेक जानवरों,पशुओं,पक्षियों की संख्या में कमी आयी है. पूर्व में जहाँ जगह जगह जल के कुंड, जल के छोटे मिटटी के पात्र रखे जाते थे. जगह जगह अनाज, खानपान के पात्र रखे जाते थे. 

वह आज दिखाई नहीं देते. यहाँ तक मनुष्य के लिए बनाए जानेवाले निशुल्क पीने के पानी के प्याऊ भी लुप्त हो रहे है. इसके जगह बोतलबंद पानी की बिक्री शुरू है. 

एक तरफ घरों में अनाज जुठा छोड़ा जा रहा है.जिससे देश में अनाज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने पर मेहंगाई बढ़ने लगी है. 

भारत सरकार को सम्बंधित मंत्रालयों को पशु, पक्षियों, गायों में फ़ैल रही लाम्पी बिमारियों की तरफ भी ध्यान देना होगा. आज श्रद्धा पर्व श्राद्ध पर कौवों की प्रजातियां लुप्त होने लगी है. 

लोग अपने पूर्वजों की गौग्रास, कागोल के लिए गाय, कौवों को ढूंढ़ते हैं. लाखों गायें लंपि बिमारियों से त्रस्त है. चिड़ियाघरों, जानवरों के संघ्रहालयों, गौशालाओं में सरकारी सुविधाओं को दुरुस्त करना भी जरुरी है. 

मूक जानवरों, मूक पक्षी, पशुओं, दुधारु जानवरों की सुरक्षा, सुविधाओं को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है. अत: प्राणि संग्रहालय, पशु, मत्स्य मंत्रालय इस तरफ़ ध्यान दें।
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