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स्कूल ने दी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी को श्रद्धांजलि


नागपुर/सावनेर। स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल हेटी (सुरला) में आज सदन में विशेष सभा का आयोजन कर स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने सभी विद्यार्थियों तथा उपस्थित स्टॉफ के साथ स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने विद्यार्थियों को बताया कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 9 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने घर का त्याग कर धर्म यात्राएं प्रारंभ कर दी थी। 

उन्होंने काशी में ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली। सन 1942 में गांधी जी ने अंग्रेज भारत छोड़ो नारा दिया तो ये भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए। उस वक्त इनकी आयु 19 वर्ष की थी। इस उम्र में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में पहचाने जाने लगे थे। 

स्वामी जी राजनीतिक विषयों में भी समाधान कारक सलाह देते थे। सन 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दण्ड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से पहचाने जाने लगे। सन 1981 में इनको शंकराचार्य जी की उपाधि मिली। वे द्वारिका एवं ज्योतिर्मठ और शारदा पीठ के शंकराचार्य थे। 

हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ने परमहंसी गंगा आश्रम ज्योतेश्वर जिला नरसिंहपुर में 11 सितंबर शनिवार शाम 3:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से सारे देश में शोक की लहर फैल गई।
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