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युवाओं, प्रौढ़ आयुवर्ग के नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रोजगार नीति बने



बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप ले रही है

नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। भारत जैसे 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश में युवाओं, प्रौढ़ की संख्या अधिक है. अनेक युवा, प्रौढ़ रेहड़ी लगाकर अपना रोजगार कमा रहे है. साथ साथ अनेक स्पर्धात्मक परीक्षा भी नौकरी के लिए दे रहे है. जिसमें बैंक, रेलवे, सरकारी कार्यालयों के लिए परीक्षा देने के बाद भी सात,आठ साल से नियुक्तियां नहीं हो रही है. 

कई युवा निजी तौर पर काम करते हैं।लेकिन वे अपने संपूर्ण परिवार का खर्च, आवास किराया देने में असमर्थ रहते है. भारत जैसे देश में बिजली, पानी, अत्यावश्यक वस्तुओं, सब्जियों के दाम के साथ अन्य जरूरी खर्चा चलाना मुश्किल हो चुका है. भारत जैसे देश में सिर्फ अनेक वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था है .लेकिन स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी सामान्य वर्ग के लिए निजी, सरकारी क्षेत्र में नौकरी की सार्थक व्यवस्था अबतक नहीं की गई है. 

ऐसे में कोरोना महमारीकाल के बाद सामान्य वर्ग के युवा, प्रौढ़ लोगों की सरकारी नौकरी के लिए आयु बढ़ाना जरुरी है. निजी क्षेत्र में रोजगार भी सामान्य जाति के उम्मीदवार को नहीं मिल रहा है. इसके लिए भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय को युवाओं, प्रोढ़ के नौकरी,व्यवसाय के लिए राष्ट्रीय नीति में सामान्य जातियों के लिए बदलाव करना होगा.
समाचार 2003581180346747693
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