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छात्र सम्मान और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम सम्पन्न


समाज का कर्ज चुकाने के लिए समाज के लिए काम करना जारी रखूंगा : अशोक कांबले

नागपुर। समाज का कर्ज चुकाने के लिए समाज के लिए काम करता रहूंगा। और समाज के ऋण को चुकाने के लिए, मेरी पुस्तक समाज में स्वतंत्र रूप से वितरित की जाएगी, ऐसा प्रतिपादन ‘मातंग समाजाची अधोगती : कारणे व उपाय’ पुस्तक के लेखक अशोक कांबले ने यहां किया। हर कोई मातंग समाज के पतन की बात कर रहा है। लेकिन, कारण और समाधान कोई नहीं बताता। इसलिए मैने इस पुस्तक में कारण और समाधान बताने की कोशिश की है। वह अन्नाभाऊ साठे साहित्य और कला अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। कांबले ने आभार व्यक्त किया कि आज तक जो सम्मान मिला है वह समाज के कारण है।

मातंग समाज के मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान करते हुए डॉ. अशोक कांबले की किताब ‘मातंग समाजाची अधोगती : कारणे व उपाय’ का विमोचन रविवार को हुआ। सेवा एवं बिक्री कर विभाग के सहायक बिक्री कर आयुक्त प्रदीप बोरकर ने भोले पेट्रोल पंप के पास सर्वोदय आश्रम में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की. 

अन्नाभाऊ साठे का साहित्य अवश्य पढ़ें। तो हम जान लेंगे कि हम किसके वंशज हैं। मातंग समुदाय के सदस्यों में काफी संभावनाएं हैं। कांबले ने कहा कि हमें हीनता की भावना का त्याग करना चाहिए। 
डॉ.एस. डी   देशभ्रतार  पुस्तक की समीक्षा करते हुए ने कहा कि समाज की प्रगति दो पहलुओं पर निर्भर करती है, अर्थव्यवस्था और शिक्षा।उन्होंने यह भी राय व्यक्त की कि प्रत्येक संगठन को राजनीतिक मतभेदों को भूलकर समाज के मुद्दे पर काम करना चाहिए। साथ ही प्रो. राहुल हिवराले ने महामनवानी द्वारा समाज के उत्थान के लिए दिए गए विचारों को आत्मसात करने की अपील की। 
सेवा और बिक्री कर विभाग के सहायक बिक्री कर आयुक्त प्रदीप बोरकर ने अध्यक्षस्थान से बोलते हुए कहा कि अन्नाभाऊ साठे एकमात्र लेखक हैं जिनकी प्रतिमा मास्को में लगाई गई है। 

बोरकर ने कहा कि समाज के लिए कोई भी गतिविधि, बैठक या कार्यक्रम लेते समय सभी को एकता की भावना से साथ आना चाहिए और दूसरों की आलोचना करने से बचना चाहिए। ऐसा संगठन होना जरूरी है जो राजनीतिक रूप से तटस्थ हो। 

बोरकर ने निष्कर्ष निकाला कि अशोक कांबले की पुस्तक उनकी संवेदनशीलता का प्रतीक है।
चंद्रकांत वानखेड़े ने मातंग समाज में पठन संस्कृति की कमी पर खेद जताया। समाज में अगर कोई किताब खरीदकर नहीं पढ़ता है। समाज में लिखने की कोई परंपरा नहीं है। इसके बाद से समाज में लेखन की परंपरा का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्नाभाऊ साठे साहित्य और कला अकादमी बिना सराहना की अपेक्षा काम करते रहेंगे। अशोक कांबले ने केवल विलाप नहीं, बल्कि अपनी पुस्तक में समाधान सुझाए हैं।

रविवार दोपहर 12 बजे आयोजित कार्यक्रम में पूर्व पार्षद परिणीति फुके, कमला नेहरू काॅलेज के सहयोगी प्रा. एस. डी. देशभ्रतार, साहित्य भूषण अन्नाभाऊ साठे स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष लहानू इंगले, सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी रवींद्र खडसे, प्रो. राहुल हिवराले, निवेदिका सुचेता कांबले, अन्नाभाऊ साठे साहित्य और कला अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रभुदास तायडे, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 

इसी कार्यक्रम में मातंग समुदाय के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अन्नाभाऊ साठे साहित्य एवं कला अकादमी के अध्यक्ष चंद्रकांत वानखेड़े के साथ नत्थू बावने, सुधीर खडसे, प्रवीण डोंगरे, सुधा बावने, चेतन शेंडे, दिलीपराज वानखेड़े, प्रकाश उकुंडे, विजय डोंगरे आदि मौजूद थे.
समाचार 8065109855283768098
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