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जलवायु परिवर्तन से देश की आर्थिक स्थिति को नुकसान


 
नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। विश्वस्तर पर कार्बन का उतसर्जन सबसे ज्यादा चीन कर रहा है, जो की 29 प्रतिशत है. वहीं अमेरिका 14.02 और भारत का कार्बन उत्सर्जन का प्रतिशत 7.02 है. ऊर्जा खपत की वजह से 76 प्रतिशत  ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है आनेवाले समय में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करना जरुरी है. इससे प्रति व्यक्ति 1.5 टन कार्बन कम किया जा सकता है. शाकाहारी खाने का भोजन करने पर आधा टन कार्बन बचाया जा सकता है. 

सब्जियों से 4.9 प्रतिशत ग्रीन हाउस उत्सर्जन होता है. डेरी प्रोडक्ट्स से 19 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उतसर्जन होता है. रीसाइक्लिंग,लोकल प्रोडक्ट खरीदकर और प्लास्टिक बैग का प्रयोग नहीं करके हम 10 प्रतिशत कचरा कम कर सकते है. इससे वातावरण में 1200 पौण्ड कार्बन कम हो सकती है. 

मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग के बिना 50 साल पहले प्रति व्यक्ति भारत की जीडीपी जितनी हो सकती थी, उसका 30 फीसदी कम है. दुनिया मे ग्लोबल वार्मिंग की  वजह से आर्थिक असमानता देखी जा रही है, जिससे मौसम में बदलाव आ रहा है. वहीं, उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। आज अमेरिका में जिस प्रकार लू, गर्मी, बाढ़ के समान हमारे देश में भी वित्तीय नुकसान हो रहा है. 

वातावरण में ज्यादा जलवाष्प होने से तुफानो में अब बारिश भी हवा के साथ हो रही है थर्मोडायनामिक्स से वातावरण गर्म हो रहा है. शुक्र ग्रह गर्म हो रहा है, मंगल  ग्रह ठण्डा रहने से भी तापमान में बदलाव हो रहा है. शुक्र ग्रह पर ग्रीनहाउस गैस का सबसे ज्यादा असर हो रहा है . जो  कि उसे गर्म बना रहा है. मंगल गृह ठण्डा होने से ग्रीन हाउस पर भी असर हो रहा है. उसके तापमान में कमी आ रही है. ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट धरती के लिए जरुरी है. 

जलवायु में ऊर्जा उतसर्जन बढ़ने से ग्रीन हाउस गैस की मात्रा बढ़ जाती है. यह ऊर्जा जलवायु सिस्टम में जा रही है. जिससे मौसम पर विपरीत असर पड़ने लगा है. धरती सूर्य का चक्कर लगा रही है. जलवायु और मौसम पर सूर्य का असर पड़ रहा है. कहीं 24 घंटे धुप तो कहीं सर्दी,बारिश के मौसम में अन्धेरा हो रहा है. उष्णकटिबंध इलाकों में रेडिएशन का असर हो रहा है. 

आज भारत के कर्णाटक,महाराष्ट्र, बंगाल, आँध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, आसाम में बारिश हो रही है.नागपुर सहित विदर्भ में भी भारी बारिश हो रही है. भारत की अर्थव्यवस्था पर बेमौसम बारिश का असर बढ़ता ही जा रहा है।जिससे विकास दर को अत्यधिक नुकसान से अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.
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