गजानन बुद्धि के प्रतीक के साथ लेखक भी हैं : डॉ. विनोद नायक
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नागपुर। गजानन को अष्टविनायक कहा जाता है उनका मस्तक गज का है जो अनंत ज्ञान का भंडार है। दो आंखें, दो कान, दो नाक व दो मुंह। दो मुंह कैसे? एक मुंह खाने के लिए और दूसरा मुंह बोलने के लिए। यह सभी आठ अंग कुशलता से प्रतिक्रिया करते हैं इसलिए गजानन को अष्टविनायक या बुद्धि के प्रतीक माना जाता है।
उन्होंने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक वेदव्यास के सुनाने पर महाभारत का लेखन भी किया अर्थात वे एक लेखक भी हैं उक्त विचार विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के संयोजक डॉ विनोद नायक ने कवि सम्मेलन में व्यक्त किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माधुरी राऊलकर ने करते हुए कवियों की गणेश पर प्रस्तुत रचनाओं को सराहा। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ विनोद नायक ने किया। अतिथि स्वागत सहसंयोजक शादाब अंजुम ने किया।
कवि सम्मेलन में डॉ भोला सरवर, नीलिमा गुप्ता, रूबी दास, तन्हा नागपुरी, माधुरी राऊलकर, सतीश लखोटिया, डॉ राम मुले, गोपाल प्रसाद व्यास सागर, उमर अली अनवर, मीरा जोगलेकर, चंद्रकला भर्तिया, माणिक खोबरागडे, शादाब अंजुम,
विवेक असरानी, संजीव महोलीय, सुदिप्ता बैनर्जी, माया शर्मा नटखटी, मंजूश्री कारेमोरे व प्रकाश जयसिंघानी ने गणेश पर आधारित कविताओं को पढ़कर साहित्यिकी को गणेश भक्ति की धारा में डुबाया। आभार मीरा जोगलेकर ने माना।