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अभिनेता मोहन जोशी ने 'जीरो माइल फाउंडेशन' के कार्यों को सराहा



नागपुर। हाल ही में एक निजी कार्यक्रम के तहत मुंबई से नागपुर पहुंचे हिंदी, मराठी सहित अनेक भाषाओं की फिल्मो के प्रसिद्ध दिग्गज अभिनेता मोहन जोशी से 'जीरो माइल फाउंडेशन' के अध्यक्ष एवं पत्रकार आनंद शर्मा ने मुलाकात की तथा 'जीरो माइल' के 16 वें अपना दिन विशेषांक की प्रति भेंट की।

मृदुभाषी, परोपकारी, सामाजिक भावनाओं के साथ सहयोग करने वाले अभिनेता मोहन जोशी से अनेक विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। 

चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि नागपुर में उन्हें वरिष्ठ अभिनेता अशोक सराफ के हस्ते 'पद्मश्री मोहम्मद रफी पुरस्कार' प्राप्त हुआ जो उनके जीवन का अनमोल यादगार क्षण रहा है।

'जीरो माइल फाउंडेशन' के सामाजिक कार्यों की जानकारी लेने के बाद अभिनेता मोहन जोशी ने कार्यों की सराहना की। सामाजिक कार्य तथा सामाजिक फिल्म के लिए भी अभिनय करने का आश्वासन उन्होंने आनंद शर्मा को दिया। 

बातों बातों में अभिनेता मोहन जोशी ने यह भी बताया कि नागपुर से उनका बहुत गहरा लगाव रहा है क्योंकि नागपुर मे उनकी नानीजी रहती थी। 
मोहन जोशी का जन्म 12 जुलाई 1953 को कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु शहर में हुआ था। 

इन्होंने अपनी शुरूआती पढाई बेंगलुरु से की थी फिर वे पुणे चले गए और अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन वहां उनका मन पढाई में ना लगकर अभिनय जगत की ओर आकर्षित हो गया। 

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने थिएटर नाटकों में अभिनय करना जारी रखा और साथ ही पुणे में किर्लोस्कर ग्रुप में नौकरी शुरू की। बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी खुद की परिवहन कंपनी शुरू की और लगभग आठ वर्षों तक ट्रक ड्राइवर के रूप में काम किया। 

एक बार उनकी परिवहन कंपनी की कारों में से एक दुर्घटना का शिकार हो गई, वह इससे परेशान हो गए और व्यवसाय बंद करने का फैसला किया। वह अभिनय में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए।

उन्होंने 1983 में मराठी फिल्म ‘एक दाव भुतचा’ से फिल्मों में डेब्यू किया। 
वर्ष 1993 में मराठी सिनेमा में फिल्म 'लेक माझी लाडकी' मे भी इनके अभिनय की बहुत सराहना हुई थी, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक व्यापार किया था।

1993 में ही उन्हें अधिकारी ब्रदर्स, गौतम अधिकारी और मकरंद अधिकारी ने देखा और उन्होंने उन्हें बॉलीवुड फिल्म 'भूकम्प' में अभिनय करने की पेशकश की। उन्होंने फिल्म में एक खलनायक ‘गैंगस्टर दया पाटिल’ की भूमिका निभाई थी। 

इस भूमिका से उन्हें अपार लोकप्रियता मिली और बाद में उन्हें खलनायक की भूमिका निभाने के लिए बॉलीवुड से कई प्रस्ताव मिले।

मोहन जोशी ने हिंदी सिनेमा में भी कई यादगार अभिनय अदा किये, जिन्हें दर्शक आज भी याद करते हैं, जिनमे माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म 'मृत्युदंड', प्रकाश झा निर्देशित एवं अजय देवगन द्वारा अभिनीत फिल्म 'गंगाजल' में मुख्य खलनायक साधू यादव की भूमिका की। उन्हे इस भूमिका के लिए कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चूका है। 

उन्होंने 350 से अधिक हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है और अधिकांश फिल्मों में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई है। उनकी कुछ बॉलीवुड फिल्में 'गद्दार', 'यशवंत', 'इश्क', 'हसीना मान जाएगी', 'गंगाजल', 'बागबान', और 'ये है इंडिया' हैं।
जोशी मुख्यत: मराठी, हिंदी, भोजपुरी समेत तमिल, तेलुगु, और कन्नड़ फिल्मों में भी नजर आते हैं।

1999 में उन्हें मराठी फिल्म घराबहेर (विशेष उल्लेख) के लिए ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ मिला। 2003 में उन्हें अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2011 में पद छोड़ दिया और 2013 में फिर से चुने गए। 2017 में, उन्हें भारतीय रंगमंच में उनके योगदान के लिए ‘विष्णुदास भावे पुरस्कार’ मिला, जिसमें एक ट्रॉफी, एक प्रशस्ति पत्र और 25 हजार रुपये की नकद कीमत शामिल है।

उनका नाट्य नाटक ‘कुर्यत सदा तिंगलम’ 1 हजार से अधिक बार प्रदर्शित किया जा चुका है।
वह एक अच्छे गायक हैं और उन्होंने विभिन्न गायन प्रतियोगिताओं में भाग लिया था।

अभिनेता मोहन जोशी से बातचीत के बाद यह महसूस हुआ कि इतने महान अभिनेता जो स्टारडम से दूर रहकर बहुत ही सादगी के साथ सभी से मिलते रहते हैं, जो उनकी अच्छाइयां एवं सामाजिक भावनाओं को दर्शाती है।

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