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भारत की ज्ञान परंपरा को बचाने में पुस्तकालय कीं अहम भूमिका : रघुनंदन शर्मा


 
नागपुर/भोपाल। भारतीय ज्ञान परंपरा और विरासत की जीवंतता में पुस्तकालयों की अहम भूमिका है। लेकिन, अफसोस की बात है कि हमारे यहां लाइब्रेरी के अस्तित्व पर खतरा है। इसे बचाने की ही नहीं बल्कि समृद्ध करने की भी आवश्यकता है। पूर्व सांसद  के श्री रघुनंदन शर्मा ने रविवार  को मध्यप्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन के तत्वावधान में आजादी के अम्रत महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपरोक्त बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय जैसे ज्ञान केंद्र के कारण भी था, जहां दुनिया भर के लोग अध्ययन करने आते थे। यहां की लाइब्रेरी दुनिया की सबसे विशाल और समृद्ध लाइब्रेरी थी। मुगल शासक यहां की ज्ञान परंपरा देखकर अवाक रह गया था। संयोग रहा कि उस समय वह बीमार पड़ गया और नालंदा के एक वैद्य से अपना रोग बताया। वैद्य ने आयुर्वेदिक लेप का नुस्खा बताया। उस नुस्खे को अपनाकर वह स्वस्थ हो गया। बाद में उसने वहां की लाइब्रेरी को नष्ट करने का प्रयास किया। उसकी सोच थी कि ज्ञान नष्ट होने पर नालंदा पर कब्जा करने में आसानी होगी।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. प्रभात पांडेय ने स्वागत भाषण किया। उम्मीद जताई कि देश भर से आये 100 से अधिक विद्वानों की सेमिनार में भागीदारी से पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में आगे की संभावनाओं की जानकारी मिलेगी। इसके साथ दिशा निर्देश की प्राप्ति होगी साथ ही उनहोंने पुस्तकालय विज्ञान के पितामह डॉ एस आर रंगनाथन के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके द्वारा प्रतिपादित पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों की वर्तमान संदर्भ मैं व्याख्या की उन्होने कहा कि एसोसिएशन का प्रयास समाज में लोगों को किताब पढऩे की आदत को विकसित करना है, जो अभी सोशल मीडिया और ऑनलाइन सिस्टम से उपेक्षित है। दुनिया में चाहे जितनी आइटी का विकास हुआ है। पढऩे की परंपरा बरकरार है।

गूगल तो सहायक है पुस्तक ही नायक है 

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे  डॉ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि किताबों का विकल्प गूगल नहीं है। इसीलिए लाइब्रेरी में बैठकर पढऩे का जो आनंद आता है, वो कम्प्यूटर के सामने बैठकर डिजिटल लाइब्रेरी देखने में नहीं है। प्राचीन ज्ञान परंपरा का एक बड़ा पक्ष मौखिक वाचन रहा है। जिसमें एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती रही है। आज भी ऑनलाइन सिस्टम कितना भी लोकप्रिय हुआ हो। किताबों की गरिमा अलग है। इस अवसर पर सर्वसम्मति से मध्य प्रदेश मै पुस्तकालय अधिनियम पारित करने का प्रस्ताव पारित किया गया

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने सनातन काल से पुस्तकालय एवं पुस्तक के महत्व को बताते हुए जन सामान्य से पुस्तकालय का लाभ लेने की बात कही उन्होंने कहा पुस्तकालय किसी भी संस्थान का ह्रदय होता है इसे सहेजने और संवारने की आवश्यकता है जिससे पुराणों और  पुरातन ज्ञान  का अधययन कर संस्कृति  और संस्कार को जिंदा रखा जा सके

आईआईएसईआर के लाइब्रेरिएन डॉ संदीप पाठक ने मानव पुस्तकालय को वर्तमान संदर्भ मैं आवश्यक बताया मनुष्य के अनुभवों द्वारा अर्जित ज्ञान को पुस्तकालय के लिये आवश्यक बताया साथ ही पढने की आदत विकसित करने के लिये नवाचार अपनाने कहा रीजनल कॉलेज के लाइब्रेरिएन डॉ पी के त्रिपाठी ने शैक्षणिक संस्था मे पुस्तकालय की उपयोगिता पर बात रखी आभार मानस भवन भोपाल की लाइब्रेरिएन श्रीमती सीमा नेमा ने प्रकट किया इस दौरान देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति हुई
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