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उभरते सितारे में 'रिश्तो की डोर'



नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का उपक्रम उभरते सितारे। जिसके अंतर्गत, संगीतमय 'रिश्तो की डोर' विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना में संयोजक युवराज चौधरी ने रिश्तो की डोर पर विस्तृत विश्लेषण किया। 

जिसमें उन्होंने बताया कि प्रेम, करुणा के भावनात्मक प्रवाह से पक्षी, प्राणी, पौधे सभी प्रभावित होते हैं और एक नए बंधन में बंध जाते हैं। कुछ रिश्ते सामाजिक और पारिवारिक परिवेश से हमें मिलते हैं, और कुछ अपने स्नेह की धारा से एक नए रिश्ते बनते चले जाते हैं। फिर वह चाहे, सरहद पर पर खड़ा हमारा सेना प्रहरी ही क्यों ना हो। 

इस कार्यक्रम में सुपरिचित कोरियोग्राफर जय हरणे उपस्थित थे। इनका स्वागत संयोजक युवराज चौधरी ने किया। तत्पश्चात, संपूर्णा रे मंडल, सार्थक पोटे, कबीर बनपेला, दक्ष बोकड़े, दिशांत महामल्ला, इशिता वानखेडे, गुलशन नागपुरे, भव्या अरोरा, देवांशी पटनायक और कृष्ण सोर ने राजस्थानी कालबेलिया नृत्य से लोगों का दिल जीत लिया। 

संजय कुल्लरवार, प्रशांत शंभरकर, देवांशी पटनायक, नंदिनी सुधामल्ला और युवराज चौधरी ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं पेश की। कार्यक्रम में नवोदित कलाकारों की प्रस्तुति को वैशाली मदारे, कृष्णा कपूर, दिवस्मिता मानस पटनायक, सीमा लूहा, महेंद्र आगरकर और बाबा खान ने बहुत सराहा। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया।  

कार्यक्रम का संचालन और आभार संयोजक युवराज चौधरी ने व्यक्त किया. अगले कार्यक्रम का विषय 'भक्ति धारा' रहेगी, यह सूचना उन्होंने दी।
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