Loading...

कथक केवल नृत्य ही नहीं एक थेरेपी भी है : श्रीमती हरदास



नागपुर। नृत्य कला चैतन्य देती है। मैं इस नृत्य कला को एक थेरेपी के रूप में देखती हूं। यह कहना है 68 वर्षीय कथक नृत्य गुरु श्रीमती ललिता हरदास का। वे 26 अगस्त 2022 को सिविल लाइंस स्थित स्वप्नपूर्ति कला केंद्र, कथक क्लासेज में आयोजित अपनी नृत्य प्रस्तुति कार्यक्रम के दौरान बोल रहीं थी। नृत्य प्रस्तुति के दौरान श्रीमती हरदास के गुंघरू बंधे पैरों की लयबद्ध थिरकन देखकर सभी अचंभित थे।

कथक नृत्य उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है। कथा कहे सो कथक कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को नृत्य रूप से कथन करना है। प्राचीन काल में कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था। यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि महाभारत में भी कथक का वर्णन आता है।

ईश्वर और मनुष्य के बीच आपसी प्रेम को परिलक्षित करने वाले नृत्य के साक्ष पूर्व से ही मिलते रहे हैं। भारत की समृद्ध परंपरा का इतिहास भी इसी कला से भरा पड़ा है। 

नटराज के रूप में प्रचलित शिवजी की मुद्रा भी भारत पर पड़े नृत्य के गहन प्रभाव की ओर इशारा करते हैं। कहा जाता है कि नटराज शिव के तांडव नृत्य की कल्पना से ही आगे चलकर उनकी महाकाल की मूर्ति परिकल्पित हुई है। जिससे नृत्य का विकास हुआ।

श्रीमती हरदास की कथक नृत्य प्रस्तुति ने बहुत तालियां बटोरी। कत्थक में रुचि रखने वाले नए कलाकारों ने भी आनंद उठाते हुए नृत्य की बारीकियां सीखी। इस अवसर पर नृत्य गुरु मदन पांडे प्रमुखता से उपस्थित थे। 

साथ ही कला सृजन की प्रिंसिपल श्रीमती माडखोलकर, वैंडरलैंड किंटर गार्डन की डायरेक्टर गुरजीत कौर, स्पीक मैके की आभा पराशर, डॉ. नंदकिशोर भगत, वरिष्ठ पत्रकार अजय पाण्डे, किशोर शर्मा, दीप्ति काले, 

भाग्यलक्ष्मी देशकर, स्वाति भालेराव की भी मुख्य उपस्तिथि रही। स्वप्नपूर्ति कला केंद्र की ओर से डॉ. संगीता देशपांडे द्वारा नई पहल के अंतर्गत केंद्र ने कलाकारों के लिए 'ओपन डाइस' - एस्टेज फॉर परफार्मिंग आर्ट्स उपलब्ध कराने के निर्णय की
कला 3082248064136499476
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list