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दोस्ती की अनुठी मिसाल थे मो. रफी और किशोर दा



बेटे शाहिद रफी ने दी यादों को ताजगी

नागपुर। मो. रफी और किशोर कुमार अपने आप में हिंदी सिनेमा के लिए स्वर्णीम सपने थे. सेंकडो नही बल्की हजारो फिल्मी गानों को इन दोनों ने सुरों का साज चढाया. अपनी सुरीली आवाज से श्रोताओं के दिलों पे राज करने वाले ये सिर्फ फनकार नही थे तो संवेदनशील व्यक्ती भी थे. 

उनकी दोस्ती की दास्तां आज भी फिल्मी दुनिया में सुनाई जाती है. ये दोनों दोस्ती ही अनुठी मिसाल रहै है. 

एसी कई यादों को शुक्रवार की श्याम मो. रफी के बेटे शाहिद रफी इन्होंने नागपुरकर श्रोताओं से किए रुबरू में तरोताजा किया. 

हिंदी सिनेमा के लिए सेंकडो गित गानेवाले मो. रफी और किशोर कुमार की यादों को ताजा करने के लिए हार्मनी इव्हेंट्स की ओर से सांयटिफिक  सभागृह मे शुक्रवार की श्याम अंदाज ए रफी - किशोर इस विशेष संगित मैफल का आयोजन किया गया था. 

श्रोताओं से खचाखच भरे सभागृह में क्या हुवा तेरा वादा इस गीत का सूर छेडते हुए शाहिद रफी इन्होंने अपनेही अंदाज में गाना शुरू किया और नागपुरकर श्रोताभी झूम उठे. 

शाहिद रफी इन्होनें दुसरी श्रंखला में गुलाबी आँखे जो तेरी देखी यह गीत सुनाना शुरू ही किया और पुरा सभागार अपनी उम्र को भूल कर नाचने लगा. बदन पे सितारे लपेटे हुए, ये गीत मस्तीखोर अंदाज में पेश करते हुए शाहीद रफी श्रोताओं के बीच जा कर गाने लगे और पुरा सभागृह फिर से एकबार उनके साथ गाने लगा, झुमने लगा. श्रोताओं ने इस गीत की इतनी सरहाना की तो शाहिद रफी को ये गीत दोबारा गाना पडा. 

नागपुर का किशोरकुमार कहलाने वाले सागर मधुमटके ने मैं हूं झुम झुम झुमरू गीत और किशोरदाने गाया हुआ इकलौता मराठी गीत अश्विनी तू ये ना... हुबहू किशोरदा के अंदाज में पेश किया. 
राजेश समर्थ इनकी संकल्पना से साकार इस संगित समारोह में मो. रफी एवं किशोर कुमारजी के ३५ गीतों का सादरीकरण किया गया. 

सागर मधुमटके, झी टिव्ही सारेगमपा विनर आकांक्षा देशमुख, स्वाती खडसे, श्रीकांत सप्रे, सुधिर कन्नावार, उमेश कुमार, बी. श्रीकांत, प्रशांत मेश्राम, नरेंद्र इंगळे, तुषार रंगारी, दिपक खंगार, विजय शेंडे, साक्षी त्यागी, ज्योत्सना नागरे, प्रिया खाटले गायक कलाकारोंने अपनी आवाज से गीतों का नजराना नागपुरकर श्रोताओं के समक्ष सादर किया. 

श्वेता शेलगावकर ने सूत्र संचालन की भूमिका निभाई. कलाकारों का पंकज सिंग ने बोर्ड पर, गौरव रंगारी ने गिटार पर, अक्षय हरले ने ऑक्टोपॅड पर, राजू गजभिये ने ड्रम पर तो प्रशांत ताडमागे, तबला - ढोलक : प्रशांत नागमोते, कांगो - तुंबा : राजेश धामनकर ने तबला पर साथ संगत की.
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