ये सावन तुम्हें समर्पित ऐंशा : हिंदी महिला समिति का सफल रहा उत्सव
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नागपुर। सावन उत्सव एक अद्भुत रुप में विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उत्कर्ष हाल में सम्पन्न हुआ जिसने सभी के दिल दिमाग पर अपनी अविस्मरणीय यादों को सदैव के लिए अमिट रुप में छोड़ दी है।
इस सावन द्श्य को देख सभी निशब्द हो गए व अध्यक्षा रति चौबे का इस कार्यक्रम के प्रति उत्सर्ग भावनाओं को देख, उस की सुगठिता, सम्पूर्णता, संयोजन, मार्गदर्शन तथा सफलता की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।
नीलम शुक्ला का सुंदर भावमय संचालन, प्रभावी रहा। रति चौबे का सुंदर अकल्पनीय प्रयास तो लाजवाब रहा। कार्यक्रम का आरंभ रति चौबे द्वारा रचित ह्दयस्पर्शी भावना को झकझोरने वाले गीत से की गई - 'ये सावन तुम्हें समर्पित करती हूं तेरा आव्हान, मैं आज इसी मंच पर, सखी पर भर को तू आजा ना, दे रहे हैं मूक निमंत्रण, पर भर को आ जाना, चली गई तुम दूर बहुत पर लगती हो पास बहुत, तुम झूम झूम संग नाचो, तुम गीत मधुर बन गावो, नयनों का सावन तुम्हें ही समर्पित - गीत के साथ ही अतिथी फैमिली कोर्ट एडवोकेट प्रेसीडेंट भावना ठक्कर व रति चौबे ने दीप प्रज्वलित किया।
सुप्रसिद्ध गायिका भारती रावल से शिव स्तुति आरंभ करवाई तो वातावरण शिवमय हो गया साथ ही प्रसिद्ध शिल्पा तिवारी ने जब मंच पर शिवतांडव नृत्य किया। शिव की भावभंगिमा देख सभी वाह वाह कर उठे, शिल्पा अर्धनारीश्वर के रुप में मंच पर कमाल का नृत्य कर रही थी, एक से एक प्रस्तुतियां मन को लुभाने में बेजोड़ रही।
गीता का मोरनी बन मंच पर थिरक कर नाचना,शानू का श्रावणमिक्स नृत्य,तो छबि का बिजली बन कर चमकना 70 की उम्र में सभी को मोहित कर बैठा, मीना का कुहुं कुहूं कर मंच पर लहराना तो रश्मि का माध्यम नृत्य, जस्सी का गीत कानों में रस घोल गया और जब संजीवनी रति बन अपने कामदेव के साथ कामुक रूप मैं शिव का तप भंग कर बैठी तो शिव का रौद्र रूप देख कांप उठे काम रति पर, काम हुए अनंग इस नृत्य नाटिका को देख गदगद हुए सभी दर्शक। फिर रेखा का गीत सावण आयो नै तो सारा सभागृह गुंजा दिया
तभी मंच पर अलका व सीमा ने शिव पार्वती के एक हास्यमय रुप को प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी,और फिर 75वर्षीय लक्ष्मि वर्मा ने अपनी जो सुन्दर अदाएं दिखा मंच को हिलाया तो सभी भाव विभोर हो गए, उमा हरगन के मधुर गीत ने सबको मुग्ध किया।
इंदिरा किसलय ने मंच पर कार्यक्रम की सराहना करते कहा ऐशा को आज जो भावांजलि दी गई वही उस जैसी जिंदा दिल व्यक्तित्व के लिए थी। हेमलता मिश्र ने बहुत ही सारगर्भित व्याख्या की, रुबीदास ने कुछ हायकू सुनाये।
इस अवसर पर हिंदी महिला समिति द्वारा हमेशा की तरह प्रगतिशील, प्रभावी महिलाओं को सम्मानित किया गया 'स्वयंसिद्धा' सम्मान से साहित्यकार प्रभा मेहता व रेखा पांडे व्यंजन विशेषज्ञ को स्मृतिचिह्न देकर तथा तीन बाहर की महिलाओं को सुनीता शर्मा न्यूजीलैंड आर्कलैंड, कर्नाटक भगवती पंत व कुसुम जोशी जो क्रमशः कर्नाटक, वो ऋषिकेश से रही।
अध्यक्ष रति चौबे ने संस्था की गतिविधियों को बताया प्रस्तावना में और कहा आत्मा अमर है हम आज अपनी सखी ऐशा को श्रृद्धांजलि नहीं प्रेमाजंलि मधुर गीत व नृत्य के माध्यम से दें रहै है क्योंकि यह सावन उसके ही साथ मनाने का मैंने वायदा किया था उसे इसी से खुशी मिलेगी वह हमारे दिलों मैं जिंदा है और रहेगी और हमारी यही भावमय प्रेमांजली ही उसकी आत्मा को सुकून देगी।
स्वल्पाहार के साथ लगभग 70 सखियों के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ समाज को एक नया संदेश देता हुआ।