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अदिति को मिलेगी वैश्विक पहचान : सुधाकर गायधनी



अद्भुत भरतनाट्यम प्रदर्शन ने दर्शकों को बांधे रखा 

नागपुर। कलाकारों की दुनिया में गुरु का स्‍थान महत्वपूर्ण होता है। अदिति के गुरुओं ने जिस तरह से उन्हें,  नेत्र, हस्‍त, पद का लयबद्ध तरिकेसे तैयार किया, उसके कारण वे न केवल महाराष्ट्र में बल्कि दुनिया में भी सर्वश्रेष्ठ नर्तक के रूप में अपनी अलग पहचार बनाएगी। वरिष्‍ठ साहित्यिक महाकवि सुधाकर गायधनी ने अदिति राउत को आशीर्वाद देते हुए कहां। 

सुप्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्य उपासक वैष्णवी जोशी व पूर्वा गंगाखेडकर की शिष्या अदिति राउत द्वारा भरतनाट्यम 'अरंगेत्रम' की प्रस्तुति शनिवार को साईं हॉल में हुई। पूर्वाई नृत्य संस्थान द्वारा प्रस्तुत इस कार्यक्रम में महाकवि सुधाकर गायधनी मुख्य अतिथि थे। पूर्वा गंगाखेडकर, डॉ. संजय राउत और डॉ. शर्मिला राउत की भी खास उपस्थिति थी। 

पूर्वा गंगाखेडकर ने प्रारंभ में अरंगेत्रम के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम सीख रहे छात्रों के जीवन में अरंगेत्रम बहुत महत्वपूर्ण स्‍थान है। अदिति की अरंगेत्रम की शिक्षा यात्रा का खुलासा करते हुए गुरु पूर्वा गंगाखेडकर ने उनके उज्‍ज्‍वल भविष्य की कामना की । गुरु मीरा चंद्रशेखरन ने ऑडियो के माध्‍यमसे अदिति को शुभकामनाए दी। 

अदिति ने गणेश स्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। अदिति ने गंभीर नाट्यम राग और रूपकम ताल में बंधे मल्‍हारी नृत्य से प्रशंसकों को बांधे रखा। इस मौके पर उन्होंने रागमाला, रसाली, कंबोड़ी, जतिस्वरम आदि प्रस्तुत किए। 
अदिति ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। 

भरतनाट्यम सिखने की प्रक्रिया में कई कठिनाइयां आईं। लेकिन गुरु की सलाह से इन सभी मुश्किलों को दूर करने में सक्षम होने के लिए अदिति ने सभी को धन्यवाद दिए। कार्यक्रम का संचालन वैष्णवी जोशी ने किया। नट्टूवंगम पर वैष्णवी जोशी और पूर्वा गंगाखेडकर थी जबकि गायन सुंदरी पद्मनाभन और सिद्धांत इंगले ने किया। 

वायलिन पर गीता सरमा, मृदंगम पर सुसरला सरमा थे जबकि श्री एवं श्रीमती जानकीरामण अय्यर, मनीष नायडू, मिथुन मित्रा, रोजी वाघचोर, माया बावनकर और डी राज का भी कार्यक्रम की सफलता में सहयोग मिला।

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