डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा ने मेधावी छात्रों को सफलता के मूल्यों पर दी नसीहत
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नागपुर। सिर्फ सपने देखने से वह सच नहीं हो जाता। गुरुमंत्र के कुलपति डॉ. गुरुमंत्र ने कहा कि यदि आप इन सपनों में कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प, संकल्प, निर्णय, निष्ठा, दृढ़ संकल्प और अनुशासन के सात मूल्यों को जोड़ दें, तो आप कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और आप सात रंग देख सकते हैं सफलता का इंद्रधनुष। वेद प्रकाश मिश्रा ने यहां छात्रों को यह जानकारी दी।
कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के मेधावी बच्चों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
अ. भा. मा. शिक्षक महासंघ और अ. भा. रा. शैक्षिक महासंघ समारोह का आयोजन गांधी सागर स्थित शिक्षक सहकारी बैंक सभागार में शैक्षिक संघ से संलग्न महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद की नागपुर शाखा द्वारा किया गया था। उस समय वर्धा स्थित दत्ता मेघे आयुर्विज्ञान अभिमत महाविद्यालय के कुलपति डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा मुख्य मार्गदर्शक के रूप में बोल रहे थे।
शिक्षक विधायक ना. गो. गाणार, पूजा चौधरी ( प्रदेश महिला अघाड़ी की प्रधान), प्राथमिक संभाग की अध्यक्ष रंजना कावले, नागपुर नगर संभाग की अध्यक्ष के. के. वाजपेयी, संयोजक गणेश चिखले, विभाग के कार्यकारी योगेश बन, आशीष भाकेरे उपस्थित थे।
शहराध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष गोतमारे ने की। आत्मविश्वास ही सफलता की पहली पायदान है। ऐसा कहते हुए डॉ वेद प्रकाश मिश्रा बोले, सफलता जुगाड़ नहीं है। लॉटरी नहीं है। या किसी दुकान पर मिलने वाला सामान भी नहीं है।
निष्ठा के साथ अपने प्रयत्नों को परिश्रम की जोड़ देकर विद्यार्थियों ने अपनी सफलता को खींच लाने का मनोबल बढ़ाना चाहिए। अपना हस्ताक्षर करना, यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होती। बल्कि उस हस्ताक्षर को ऑटोग्राफ में रूपांतरित करने का संकल्प विद्यार्थियों ने करना चाहिए।
प्रकृति में आने वाला हर इंसान एक पत्थर की तरह होता है। उस पत्थर को तराशने की जिम्मेदारी परिवार और शिक्षकों पर होती है। ऐसे ही गुणों को तराशने का काम इस गौरव कार्यक्रम ने किया है, यह भी डॉ मिश्रा इन्होंने अभिभाषण में बताया।
शिक्षक विधायक गानार, विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बोले, केवल राष्ट्रगान गाने से देशभक्ति पूरी नहीं होती। राष्ट्रगान का सार जीवन को व्यतीत करते समय कृति में आना चाहिए।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पूजा चौधरी ने बताया, शिक्षकों पर शासकीय उपक्रमों का भी भार होता है। ऐसे समय अपने ही बच्चों पर ध्यान देने का समय शिक्षकों कोgt नहीं मिलता। इसलिए यह गौरव उन विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के लिए भी बड़ा महत्व रखता है।
संगठन के कार्यवाह सुधीर वारकर इन्होंने प्रास्ताविक के माध्यम से कार्यक्रम की भूमिका रखी। अध्यक्षीय समापन करते हुए प्रा. गौतमारे उन्होंने बताया , आसमान में उड़ान भरने की चाहत सभी में होती है। पर ऐसे समय जमीन पर पैर जमाए रखना भी जरूरी होता है।