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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी को दी श्रद्धांजलि



नागपुर/ सावनेर  स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल, हेती (सुरला) में बड़े ही सादगी पूर्वक बच्चों ने मनाएं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की 102 वी पुण्यतिथि। सभा में स्कूल के प्राचार्य श्री राजेंद्र मिश्र ने उन्हें नमन किया और कहा कि 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरी में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे बाल गंगाधर तिलक जी एक समाज सुधारक राष्ट्रवादी और स्वतंत्र कार्यकर्ता थे। तिलक जी ने अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए दो प्रसिद्ध साप्ताहिक समाचार पत्र 'केसरी' और 'मराठा दर्पण' प्रकाशित किए। 

केशरी के दैनिक होने के बाद से उन्होंने 'भारत के जागृति' की उपाधि पाई। उन्होंने गौहत्या विरोधी संघों, लाठी क्लबों और अखाड़ों की भी स्थापना की। 'स्वराज्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा' का नारा हमें तिलक जी ने ही दिया था। आधुनिक भारत के निर्माता एवं भारतीय क्रांति के जनक के नाम से भी हम उन्हें जानते हैं। उनके प्रयासों के कारण ही उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली। 

1 अगस्त 1920 को लोकमान्य जी ने अपनी आंखें सदा के लिए बंद कर ली। स्कूली विद्यार्थियों ने उनके सुविचार लिखें, रेखाचित्र तैयार किए तथा उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना की एवं 'लोकमान्य' बाल गंगाधर तिलक जी को नमन किया।
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