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सिंध मुक्त होकर भारत अखंड बनेगा : उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस



नागपुर। जरीपटका स्थित जिंजर मॉल में रविवार 14 अगस्त को 'अखंड भारत संकल्प दिवस' का कार्यक्रम महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री विधायक देवेंद्र फडणवीस के मुख्य आतिथ्य, महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विधायक चंद्रशेखर बावनकुळे व 

नागपुर भाजपा के अध्यक्ष विधायक प्रवीण दटके के विशेष आतिथ्य, प्रा. विजय केवलरामानी (अखिल भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिंध मुक्ति संगठन) की अध्यक्षता, राजु हिदुस्तानी (प्रधान संपादक विदर्भ पथ), अनिल भारद्वाज, प्रताप मोटवानी, कैलाश केवलरामानी (राष्ट्रीय महासचिव, सिंध मुक्ति संगठन), 

वीरेन्द्र कुकरेजा, महेंद्र धनविजय, प्रमिला मथरानी, प्राचार्या श्रीमती नीलम आहुजा, प्रधानाध्यापिका श्रीमती रश्मी वाधवानी, श्रीमती रिचा केवलरामानी, डॉ भाग्यश्री खेमचंदानी, डॉ विंकी रुघवानी, विजय. टी. केवलरामानी, दीपक आहुजा की प्रमुख उपस्थिति में सोत्साह संपन्न हुआ।

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि 'अखंड भारत संकल्प दिवस' हर वर्ष 14 अगस्त को पिछले 50 वर्षो अर्थात 1972 से मनाते आ रहे है और यह कार्यक्रम मनाना अत्यंत आवश्यक है क्योकि 1947 में हमारे देश के वासियों को प्रताडित होकर, दुकान- मकान छोडकर सिंध से हिंद आना पडा, 

उस विभाजन की विभीषिका को कभी भुलाना नही चाहिए क्योकि समाज में विभाजन के बीज जब बोए जाते तो पीडियाँ बर्बाद होती है। जाति, धर्म, प्राँत, भाषा के आधार पर हमको कोई विभाजित न करें सके, एक भारत - श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना के आधार पर, एक श्रेष्ठ समाज स्थापित करे जिसकी बुनियाद को हिलाने की हिम्मत किसी की भी न हो। 

उन्होने आगे कहा कि इस विभाजन की विभिषिका को आने वाली पीढी को बताना होगा क्योकि जिनको अपना इतिहास मालुम नही होता, उनका वर्तमान तो होता है लेकिन भविष्य नही होता इसलिए इस विभाजन की विभिषिका को हमें याद करना होगा। अखंड भारत की मशाल जो जलाई है उसे जलाए रखना होगा सिंध मुक्त होकर अंखड भारत का सपना अवश्य पूर्ण होगा और बहुत जल्द पूरा होगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक चंद्रशेखर बावनकुळे अखंड भारत संकल्प दिवस एक नई चेतना को जगाने का काम कर रहा है। हिंदुस्तान का बंटवारा कोई नहीं चाहता था। अगर उस समय सही बंटवारा होता तो सिंधी समाज का एक प्रांत जरूर निर्माण होता। 

विधायक प्रवीण दटके ने कहा कि 1947 का विभाजन पहला और अन्तिम विभाजन नहीं है. 1876 में अफ़ग़ानिस्तान, 1904 में नेपाल, 1906 में भूटान, 1914 में तिब्बत, 1935 में श्रीलंका, 1937 में म्यनमार, 1947 में पाकिस्तान एवं बांग्लादेश हिदुस्तान से अलग हुए।

प्रा. विजय केवलरामानी ने कहा भारत का विभाजन अस्भाविक, कृत्रिम, बनावटी, अप्राकृतिक व गलत आधार पर हुआ है। 

अत: यह विभाजन बहुत समय तक नही चलेगा क्योंकि असत्य पर आधारित कोई भी चीज स्थाई नही अस्थाई होती हैं ठीक उसी तरह 1947 में इतिहास बदला था हमारा कार्यक्रम अखंड भारत संकल्प दिवस (सिंध मुक्ति संकल्प दिवस) यह इतिहास व भूगोल दोनों को बदलेगा अर्थात भारत अखंड होगा। 

सिंधु नदी के पावन तट पर वेंदो की रचना हुई थी आज सिंध भारत में नही परंतु राष्ट्रगान में है जिस प्रकार वेंदो के बिना भारत की कल्पना नही की जा सकती उसी प्रकार सिंध के बिना हिंद अधुरा हैं।

राजु हिदुस्तानी ने कहा कि संगठन द्वारा आंदोलन के माध्यम से भारत के लोगों को जागरुक करना है। 

प्रताप मोटवानी ने कहा कि सिंध मुक्ति का संकल्प बहुत अच्छा है हमें संकल्प कर प्रयास कर भारत को फिर से विश्वगुरू के स्थान पर बिठाना होगा।

अनिल भारद्वाज ने कहा कि विभाजन पूर्णत: गलत है बहुत शीध्र पुन: भारत अखंड होगा। विश्व की कोई ताकत इसे रोक नही सकती।

कैलाश केवलरामानी ने कहा कि विभाजन में हमारा पूरा सिंध दे दिया गया अत: 14 अगस्त को काला दिवस के रुप में मनाते है।

वीरेन्द्र कुकरेजा ने कहा कि 14 अगस्त इतिहास का काला दिन हैं। सिंध प्रांत जो हमारी भारतीय संस्कृति का उदगम स्थान है।

कार्यक्रम में सर्वश्री कमल मूलचंदानी, अनिल बटवानी, गणेशदास, विजय विधानी, संजय हेमराजानी, मुरली केवलरामानी, मेलाराम गोधानी , प्रकाश केवलरामानी, किशोर केवलरामानी, राम केवलरामानी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथी मा देवेंद्रजी फडणवीस ने अखंड भारत को बंधन मुक्त कर किया। 

अंत में प्रज्जवलित मशाल के साथ सिंध मुक्ति अर्थात अखंड भारत के निर्माण का संकल्प प्रा. विजय केवलरामानी ने सभी से करवाया। 
कुशल मंच संचालन श्रीमती नीलम आहुजा ने तथा आभार प्रदर्शन श्री कैलाश केवलरामानी ने किया।
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