राष्ट्रीय ध्वज के साथ राष्ट्रभाषा, संस्कृति को महत्त्व देना जरुरी
घर घर अच्छा स्वास्थ्य, आवास, रोजगार, शिक्षा का अभियान शुरू हो
नागपुर (आनंदमनोहर जोशी)। 13 अगस्त 1946 के वर्ष तक भारत में अनेक रियासतें, राज्य, राजाओं का अस्तित्व था. जिसे 13 अगस्त तक 1947 तक अखंड भारत कहा जा सकता है. इस दौरान ब्रिटिश सरकार और भारत के पूर्व नेताओं ने मिलकर देश को मजहब, भाषा के आधार पर विभाजित कर 14 अगस्त को पडोसी देश बनाया.
दूसरे दिन 15 अगस्त 1947 को भारत देश को स्वतन्त्रता मिली और इस तरह अनेक धर्मों के लोगों ने भारत में रहने का फैसला विश्व विजयी तिरंगे को फहराकर लिया. भारत के संविधान को स्वीकृति 1949-50 में मिली.भारत की भाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा भी मिला. लेकिन भारत के संसद के सदनों में 75 वर्ष बाद भी अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी कानून, अंग्रेजी बोलने का चलन अभी भी कायम है. जबकि अंग्रेजी भाषा को विश्वस्तरीय दर्जा प्राप्त है.
भारत की भाषा हिंदी भी महत्वपूर्ण है. इसे रूस, नेपाल, भूटान सहित विश्व के अनेक देशों में बोला जाता है. अब जबकि भारत के 75 वीं आजादी की बरसी पर घर-घर जाकर तिरंगा फहराने के आदेश जारी किए गए हैं। ठीक उसी तरह भारत के हर घर तिरँगा की तर्ज़ पर घर घर राष्ट्रभाषा हिंदी लिखने, बोलने, पढ़ने, सुनने को प्राथमिकता देना जरूरी है.
इसके साथ साथ हजारों वर्ष की भारतीय संस्कृति, हिंदी भाषा, राष्ट्रीय पहनावा को विश्वस्तरीय दर्जा देना भी समय की जरुरत है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी बाजपेयी ने धोती, कुर्ता के साथ विदेशों में हिंदी भाषा में भाषण दिया.
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारतीय पोशाख साड़ी पहनकर विदेशों के दौरे किये. भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनेक देशों में हिंदी में भाषण दिए. साथ ही मुख्य भारतीय व्यंजन इडली, डोसा, दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दाल, बाटी, चूरमा,सरसों का साग, मक्का की रोटी, केर सांगरी की सब्जी को भी विश्वस्तरीय पहचान दिलाना अत्यंत आवश्यक है.
विश्व में आधुनिक युग में अशांति, भय, युद्ध के वातवरण में साहस के साथ एकता, अखंडता, भाईचारे के साथ घर घर शांति की स्थापना करना 800 करोड़ों लोगों के विश्व के नागरिकों की रक्षा के लिए जरूरी है.
आज की दुनिया में बेरोजगारी, भूख को खत्म कर रोजगार, स्वयं रोजगार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। घर घर तिरँगा के साथ अच्छा स्वास्थ, सभी को घर, आवास, शिक्षा अभियान की आवश्यकता महसूस की जा रही है.