अमृत प्रतिष्ठान संगीत समारोह को दर्शकों ने सराहा
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नागपुर। अमृत प्रतिष्ठान द्वारा एक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रसिद्ध संतूर वादक सूरमणि पं वाल्मिक धांदे के शिष्य प्रविण झाडगांवकर ने आत्मा को झकझोर देने वाले संतूर पर मधुर राग वाचस्पति का प्रदर्शन किया।
उनके साथ मनीष शिरभैये ने बहुत ही समर्पक तबला संगत की। इस बहुत ही रोचक और मधुर प्रदर्शन को दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहा।
संगीत सभा के दूसरे सत्र में युवा पीढ़ी की प्रमुख गायिका सुगंधा साईनाथ लातुरकर ने राग बिहाग में बिलम्बित तिलवाड़ा ताल की पारंपरिक बंदिश 'धन धन रे' तथा तीन तालों में गुरु पं अरुण कशाळकर की 'आये पिया मोरे मंदिरवा' रचना प्रस्तुत की।
तद्पश्चात, आग्रा घराणा की नोम तोम आलापीसे राग झिंजोटी पेश किया और अपने गुरु की बंदिश 'देखो मोरी गगरी छिन लीनी' बंदिश और बाद में उस्ताद निसार हुसेन खाँ साहब का द्रुत तीनताल का तराना गाया।
राग गौड़ मल्हार के रूपक ताल में पारंपरिक बंदिश 'मान ना करे रे गोरी' के प्रस्तुती के बाद अपने गुरु द्वारा रचित एकताल की द्रुत बंदिश 'रुमझुम बरसे बदरवा' और फिर 'काहे किन्ही मोसे बरजोरी' इस भैरवी ठुमरी के साथ गायन का समापन किया।
स्पष्ट आलाप, सुरों के सामंजस्य, रागों की व्यवस्था और जोरदार तानोंसें युक्त उनका गायन बहुत प्रभावी और रोचक था। हार्मोनियम पर रितेश तनेलवार और तबले पर आशीष तलवेकर ने अपनी मधुर और दिलचस्प साथ संगत से श्रोताओं का दिल जीत लिया। प्रतिभाशाली युवा सुत्र संचालक आर्य घटवाई का निर्देशन बहुत ही प्रभावशाली और रोचक था।
नई पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत में रुचि बढाने तथा संगीत कला में कार्यरत प्रतिभावान कलाकारों का कार्य लोकोन्मुखी होना चाहिए इस उद्देश से अमृत प्रतिष्ठान नागपूर यह संस्था निस्वार्थ सेवा के रुप में पिछले 23 वर्षों से लगातार कार्यरत है और सामाजिक प्रतिबद्धता का दाईत्व निभा रहा है!
प्रतिष्ठान द्वारा सभी कलाकारों को विधिवत अभिनंदन, पुष्प एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
संस्था के अध्यक्ष मोहन (दिवाकर) निस्ताने ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस समय वरिष्ठ गुरु पं. वाल्मिक धांदे, राजु गुजर, अमोल उरकुडे, माधव पालमवार, मोरेश्वर निस्ताने, वसंत पथे, डॉ राजेंद्र डोळके, मल्हार पुरोहित, अनंत दीक्षित, माधुरिका गडकरी, श्रीराम शास्त्रकार, कालिदास अपराजित, निखील मडावी, किरण जोशी और कई इच्छुक श्रोता उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में रितेश तनेलवार, निखील मडावी, आशिष तळवेकर, नारायण राऊत ने अपना बहुमूल्य सहयोग दिया। श्रोताओं का दिल जीतने वाले इस मधुर संगीत कार्यक्रम को संगीत प्रेमी हमेशा याद