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42वीं पुण्यतिथि पर मोहम्मद रफी को किया याद


नागपुर/सावनेर। शहंशाह - ए - तरन्नुम के नाम से मशहूर मोहम्मद रफी साहब भारतीय सिनेमा के सदाबहार गायकों में से एक है। 24 दिसंबर 1924 को जन्मे मोहम्मद रफी जी ने अपने गांव के एक फकीर की नकल करते करते गाना गाना सीखा था और लगभग हर मिजाज के गीतों को गाया है। स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल, हेती (सुरला) में रफी की पुण्यतिथि पर उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि प्रदान की। 

स्कूल के प्राचार्य श्री राजेंद्र मिश्र ने मोहम्मद रफी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्कूल के निदेशक एडवोकेट श्री चंद्रशेखर बरेठिया ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मोहम्मद रफी को सदी का महान गायक कहा। स्कूल की संगीत शिक्षिका श्रीमती स्मिता आटलकर ने रफी के सुपरहिट गीतों के द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी। 

स्कूली विद्यार्थियों ने भी रफी को याद किया। स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि मोहम्मद रफी ने मात्र 13 साल की उम्र में अपनी  परफॉर्मेंस दी थी और अपने कैरियर में लगभग 28 हजार गाने गाए थे। कुंदनलाल सहगल की अनुमति से उन्हें लाहौर में एक कॉन्सर्ट में गाने की अनुमति मिली। 1348 में राजेंद्रकृष्ण लिखित गीत 'सुनो सुनो ए दुनिया वालों बापू जी की अमर कहानी' से अपनी अलग पहचान बनाई। 

प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी को उनकी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने अपने ही घर रफी को गाना गाने के लिए बुला लिया था। 'बाबुल की दुआएं लेती जा'(नीलकमल) आज भी लोगों को रुला देता है। किशोर कुमार की आवाज भी बने रफी। 11 गाने उन्होंने किशोर कुमार के लिए गाए। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए सर्वाधिक 369 गानों को उनकी आवाज दी जिसमें 186 सोलो थे।

मोहम्मद रफी ने सिनेमा को सदाबहार नगमे दिए हैं जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। उनके जैसा फनकार न कोई दूसरा है और न ही होगा। 31 जुलाई 1980 को रफी साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। वे न केवल अपनी गायकी बल्कि सादगी के लिए भी जाने जाते रहेंगे। 

उन्हें पतंगबाजी और बैडमिंटन का भी शौक था। उनके एक दीवाने ने तो अपने घर का नाम ही 'मोहम्मद रफी मेंशन 'रख दिया। उसके पास तो रफी के गीतों की कैसेट्स का अद्भुत संग्रह है। मोहम्मद रफी की 42वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए प्राचार्य ने कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें 'भारत रत्न 'से सम्मानित करना चाहिए। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना करते हुए सहभागी विद्यार्थियों का अभिनंदन किया।
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