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जीवन के अनुभव ही वास्तविक संपत्ति होती है : डॉ. विमल कुमार, केलिफोर्निया

                              

जीवन का सत्य है 'कुछ ऐसा लगता है' अतः मनुष्य के जीवन के अनुभव ही उसकी वास्तविक संपत्ति होती है। इस आशय का प्रतिपादन प्रवासी भारतीय कवि तथा केलिफोर्निया, अमेरिका के निवासी डॉ. विमल कुमार ने किया। अंजुमन खैरुल इस्लाम संस्था से संलग्नित पूना कॉलेज मे आयोजित भौतिक तथा आभासी अंतर राष्ट्रीय गोष्ठी में वे अपना मन्तव्य दे रहे थे। 

पूना कॉलेज पुणे, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज तथा सोशल डेव्हलपमेंट फ़ाउंडेशन, जलगांव के संयुक्त तत्वावधान में इस गोष्ठी का आयोजन किया गया था। डॉ. विमल कुमार के काव्य संग्रह ‘कुछ ऐसा लगता है’ का विमोचन एवं परिचर्चा प्रस्तुत गोष्ठी में हुई। पूना कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। डॉ. विमल कुमार ने आगे कहा कि 'मन के विकारों पर नियंत्रण ही जीवन को सफलता प्रदान करते है । अतः अच्छे कर्म करने चाहिए। क्षमा, दया, प्रेम ये तीन महत्वपूर्ण पहलू जीवन को यश की कोटी तक पहुँचा देते है।'

मुख्य अतिथि तथा सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार रोडे  ने अपने मन्तव्य में कहा कि 'प्रत्येक व्यक्ति का जीवन विस्तार अनुभव से भरा हुआ है। हर व्यक्ति अपने अनुभवों से जीवन में परिवर्तन ला सकता है। यही उसकी अनुपम शक्ति होती है। डॉ. विमल जी की गद्यात्मक कविता पाठक पर अमित प्रभाव छोड़ देती है। उनकी कविता सकारत्मकता से ओतप्रोत है। प्रेम, संवाद, संवेदनशीलता और सौहार्द ही डॉ. विमल कुमार की कविता के मुख्य आधार है।'

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शाहबुद्दीन शेख ने कहा कि 'कुछ ऐसा लगता है' काव्य संग्रह में लगभग 250 पृष्ठों में 103 कवितायें समाहित है। इन कविताओं में डॉ. विमल कुमार की आपबीती के भी दर्शन होते है। अनुभूति की प्रामाणिकता, जीवन की सत्यता और भोगा हुआ यथार्थ उनकी कविता में अनायास पाया जाता है। सोशल डेव्हलपमेंट जलगांव के अध्यक्ष श्री कैलास मालखेड़े ने अपने मन्तव्य में कहा कि डॉ. विमल कुमार के अनुभव भी हमारे जीवन के लिये महत्वपूर्ण है जिनसे हमे लाभ ही होगा। श्री सौरभ माताड़े ने विमल कुमार के काव्य संग्रह की कुछ कविताओं का वाचन किया। 

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूना कॉलेज पुणे के प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ. विमल कुमार की काव्य कृति कुछ ऐसा लगता है अत्यंत रोचक पठनीय व प्रेरणादायी है। काव्य संग्रह की प्रत्येक कविता पाठक को संदेश देने में निःसन्देह सक्षम है। पूना कॉलेज राष्ट्रभाषा हिंदी के कार्यक्रमों को आयोजित करने में निरंतर अग्रभागी होता है।  श्री विलास किरोते ने अपने कथन में कहा कि विमल कुमार की कविताओं में उनके अपने जीवन की झाँकी प्रस्तुत है। गोष्ठी का शुभारंभ एनसीसी गीत ‘हम सब भारतीय है’ से आरंभ हुआ। 

गोष्ठी का प्रास्ताविक भाषण महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष सब लेफ्टनेंट डॉ. मोहम्मद शाकिर शेख ने किया। गोष्ठी का सुंदर व सफल संचालन डॉ. बाबा शेख ने किया । गोष्ठी में प्रतिभागी के रूप में श्रीमती दीपिका कटरे, पृथा फाउंडेशन की अध्यक्षा मीनाक्षी भालेराव, चंदा डांगी, मंदसौर, मध्यप्रदेश, डॉ. सुषमा कोंडे, प्रोफेसर डॉ. मधुकर राठोड, डॉ. बालासाहेब सोनवणे, डॉ. अब्दुल अज़ीज़, आंबेकर तथा जनाब अब्दुल्ला खान सहित भौतिक रूप से सौ से अधिक प्रतिभागी एवं यू ट्यूब पटल पर असंख्य प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दर्शाई। नीता मालखेड़े ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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