सम्पूर्ण भारत में एक समान ईंधन की दरें करें तय
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नागपुर (आनंदमनोहर जोशी)। भारत में अनेक राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के सत्ता प्राप्त राज्यों के मुकाबले अधिक मूल्य पेट्रोल की खरीदारी के दौरान नागरिकों से वसूल रहें है। जहां जहां बी जे पी के राज्य की सरकारें हैं। वहां पर 15/- से 16.60 रु . तक पेट्रोल पर प्रति लीटर कमाई कर रहे हैं। दूसरी ओर जहां जहां विपक्ष की सरकारें हैं। वहां पर 26.20 रु . से लेकर 32 रु . तक पेट्रोल पर कमाई की जा रही है। केंद्र सरकार के सत्ता प्राप्त राज्य में गुजरात में 16.56 रु . , हिमाचल प्रदेश में 16.60 रु., उत्तराखंड में 14.51 रु., उत्तरप्रदेश में 15.50 प्रति लीटर की कमाई राज्य सरकारें कर रही है । दूसरी ओर जहां बी जे पी सत्ता में नहीं है। उनमें महाराष्ट्र में 32 रु . प्रति लीटर की कमाई राज्य सरकार कर रही हैः। उसी तरह राजस्थान 29.10 रु . प्रति लीटर , केरल 27.24 रु. प्रति लीटर, आँध्रप्रदेश 31.59 रु . प्रति लीटर, बंगाल 26.20 रु . प्रति लीटर की कमाई कर रहे हैं।
इसके साथ ही पिछले नौ माह में महाराष्ट्र सरकार ने वैट पर 24886 करोड़ रुपए की कमाई की है। बंगाल राज्य ने वैट से पिछ्ले नौ माह में 6923 करोड़, तेलंगाना राज्य ने 9751करोड़, आंध्र प्रदेश ने 10920 करोड़, तमिलनाडु सरकार ने 15291 करोड़ की कमाई की है। इस तरह जनता को अनेक राज्यों की सरकार पेट्रोल ज्यादा दर में बेच रही है। और वैट से भी पैसे कमा रही है। जबकि महामारी के बाद अनेक नागरिकों की वेतन निजी क्षेत्र में नहीं बढ़ी है। अनेक परिवार के लोग पैदल, सायकल, बस, निजी ट्रांसपोर्ट, मेट्रो में घंटों परेशान होकर बड़ी मुश्किल से रोजगार कमाने आवागमन कर रहे हैं। आज देश के सभी राज्य में पेट्रोल की बढ़ती दर से अतिआवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ चुके हैं।
फलस्वरूप नागरीकों को जीवनयापन के दौरान दिक्कतें आ रही है। 5/- के मुद्रा में अनेक वस्तुएं नहीं मिल रही है। पूर्व मुद्राओं में दस, बीस, पच्चीस, पचास पैसा, एक, दो के नोट और सिक्को का कोई मूल्य नहीं रह गया है। यदि भारत सरकार का ध्यान इस ओर नहीं गया तो आनेवाले समय में अनेक सत्ताधारी राजनीतिक दलों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। अब देश में समान मूल्य, समान कानून संहिता, समान रोजगार, स्वयंरोजगार कानून की आवश्यकता महसूस हो रही है। अनेक नागरिकों में अलग अलग मूल्य प्रणाली के प्रति रोष व्याप्त है।