गौरवमयी संस्कृति को बचाना होगा : डॉ. शहाबुद्दीन शेख
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नागपुर। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज द्वारा राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कितना जायज' यही था। जिसमें विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख,पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि गौरवमयी हमारी संस्कृति को बचाना होगा। अंग्रेज चले गए लेकिन अपने पीछे अपनी संस्कृति को छोड़ गए। आज अंग्रेजी का भारतीय संस्कृति पर अधिपत्य है। दुःखद है कि भारतीय संस्कृति को अपनाने की जगह पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है यही अंधानुकरण है।
प्रास्ताविक भाषण में विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के सचिव महोदय डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का अपना महत्व है। संस्कृति के अनुसार रहना शोभा देता है। चाहे आप कहीं भी रहे अपना संस्कृति के अनुसार रहना गौरवान्वित करते हैं।गुड डे, गुड मॉर्निंग, फादर डे, मदर डे, बोलना उचित नहीं है। बल्कि संस्कृति के अनुसार रहना ही शिक्षा है।
मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉक्टर अनुसूया अग्रवाल,महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने कहा कि मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। उनकी बुद्धि चारों ओर दिखाई दे रहा है। मानव की काया में उसे बेशुमार शक्ति.दिया है। शिक्षा के द्वारा अपने क्षेत्र व राष्ट्र का विकास हो रहा हैं।आज व्यक्ति जितना शिक्षित हो रहा हैं उतना ही अपनी संस्कृति को अपनाने मे हीनता का अनुभव कर रहा है।
वक्ता डॉ सुधा सिन्हा पटना बिहार ने कहा कि कोई भी संस्कृति खराब नहीं है। प्रत्येक देश की अपनी संस्कृति है पश्चिमीकरण के प्रभाव से कुछ परिवर्तन अवश्य हुआ है।
वक्ता डॉ माधुरी त्रिपाठी, छत्तीसगढ़ ने कहा कि संस्कृति में लड़कों को अधिक महत्व दिया जाता है। लड़कों के लिए पूजा पाठ रखा जाता है वही बेटे आज वृद्धा आश्रम में माता पिता को छोड़ देते हैं। बच्चों को उच्च शिक्षा दी जा रही है सामान्य व्यक्ति भी अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाता है। आज बच्चे अपनी संस्कृति को खोते जा रहे हैं।
वक्ता डॉ अरुणा शुक्ला नांदेड़, महाराष्ट्र ने कहा कि परिवारिक जीवन पाश्चात्य संस्कृति के कारण समस्या ग्रस्त हो गया है। पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण उचित नहीं है। साहित्य, कला, संस्कृति, खानपान सब खोता जा रहा है।
आभासी संगोष्ठी का प्रारंभ डॉ.मुक्ता कौशिक के मां सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत उद्बोधन प्राध्यापिका रोहिणी डावरे अकोले, महाराष्ट्र ने किया। कार्यक्रम का सफल एवं सुंदर संचालन विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ की हिंदी सांसद एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी डॉ मुक्ता कौशिक ने किया। आभार प्रदर्शन डॉक्टर वंदना श्रीवास्तव, लखनऊ ने किया।
इस आभासी राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ भरत शेणकर महाराष्ट्र, अर्चना पांडे छत्तीसगढ़, मनीषा सिंह मुंबई, श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव चांपा छत्तीसगढ़ युवा संगठन प्रभारी, नजमा मलिक, गुजरात,डॉ.रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ सरस्वती वर्मा, महासमुंद छत्तीसगढ़ सहित अनेक गणमान्य नागरिक, कवि,साहित्यकार उपस्थित थे।