नंदिता माजी शर्मा 'काव्य रत्न' से सम्मानित
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नागपुर/दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली स्थित हिन्दी भवन में 15 मई को कालजयी काव्य ग्रंथ 'भारत के भारत रत्न' का भव्य लोकार्पण एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ। यह कालजयी ग्रंथ डॉ राजीव कुमार पाण्डेय द्वारा संपादित है, जब कि इस ग्रंथ का संकलन ओंकार त्रिपाठी द्वारा किया गया है। काव्यग्रंथ में अपनी सहभागिता हेतु नंदिता माजी शर्मा को डॉ हरिसिंह पाल के करकमलों से काव्य रत्न से सम्मानित किया गया। साथ ही पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि, सुदर्शन न्यूज़ चैनल एडिटर इन चीफ सुरेश चौहान एवं ख्याति प्राप्त साहित्यकारा डॉ इंदिरा मोहन द्वारा भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन संस्था द्वारा आयोजित इस लोकार्पण समारोह की नींव 21 नवंबर 2021 को ही डाल दी गई थी जब देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत 48 महापुरुषों पर देश विदेश के 301 कवियों ने ऑनलाइन काव्य महोत्सव का आयोजन किया था। अपनी तरह के इस अद्वितीय आयोजन को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था और भारत के अलावा लगभग 15 देशों के रचनाकार इस महाअनुष्ठान में शामिल हुए थे। भारत रत्न से विभूषित मनीषियों पर किया गया यह कार्य मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि देश के लिए मनसा, वाचा, कर्मणा समर्पित महामानव के जीवन, त्याग और बलिदान की पावन गाथा है जो किसी पावन ग्रंथ से कम नहीं है इसीलिए इसे ग्रंथ कहा गया है।
इस भव्य लोकार्पण समारोह में देश के कोने कोने से आये 200 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुदर्शन चैनल के अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक एवं एडिटर इन चीफ सुरेश चौहान ने इस कृति को राष्ट्रीय अस्मिता का ग्रन्थ बताते हुए कहा कि यह केवल एक ग्रन्थ नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर बन गया है। इससे भारत की आने वाली पीढ़ी को हमारे देश की महान विभूतियों को काव्यात्मक रूप से पढने को मिलेगा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा की सुदर्शन टी वी सभी 48 भारत रत्न विभूतियों और देश के 21 परमवीर चक्र विजेताओं पर अलग अलग एपिसोड बनाकर अपने न्यूज चैनल पर प्रसारित करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार पद्मश्री डॉ श्याम सिंह 'शशि' ने कहा कि हिंदी साहित्य के इतिहास में इस प्रकार का कार्य होना अपने आप में स्तुत्य है। हमारे राष्ट्र के महापुरुषों को कविताओं के माध्यम से व्यक्त कर एक श्लाघनीय कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि मैं इस ग्रंथ के सम्पादक डॉ राजीव कुमार पांडेय एवं संकलनकर्ता वरिष्ठ गीतकार ओंकार त्रिपाठी को ह्र्दय से बधाई देता हूं जिन्होंने साहित्य की यह ज्ञान गंगा बहायी है। उन्होंने अपने संस्कार संस्कृति की रक्षा के लिए वेदों की ओर लौटने और जीवन में उन्हें अपनाने का आह्वान किया।
इस ग्रन्थ के समीक्षा करते हुए विशिष्ट अतिथि और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरि सिंह पाल ने कहा कि इस विशाल ग्रन्थ में देश विदेश के 215 साहित्यकारों ने इस नए विषय पर सृजन किया है जो अभी तक अछूता था।
विशिष्ट अतिथि और हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव डॉ जीतराम भट्ट ने इसे कालजयी ग्रन्थ की संज्ञा देते हुए कहा कि इसे भारत की प्रत्येक लाइब्रेरी में होना चाहिए।
अपने उद्बोधन में विशिष्ठ अतिथि और दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ इंदिरा मोहन ने उपस्थित सरस्वती पुत्रों का आह्वान किया और कि डॉ राजीव कुमार पांडेय और ओंकार त्रिपाठी ने मिलकर एक दिव्य अनुष्ठान किया है जिसमें आप सभी शब्द साधकों ने उन महिमामंडित व्यक्तित्वों को उकेरा है जो भारत देश का इतिहास भी हैं, वर्तमान भी है और भविष्य भी हैं।
उन्होंने कहा कि तनमे मन:शिव संकल्पमस्तु। यह तो व्यक्ति का नहीं, शिव का कार्य है जो सदैव पूर्ण आनंद देता है देश की स्थिति पर साहित्यकारों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियों में साहित्यकार ही हमें सही मार्ग दिखा सकता है इसलिए लोकेषणा को छोड़कर संस्कार और संस्कृति की रक्षा के लिए अपनी आत्मा को जगाना होगा।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ। संस्था की कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय भारतीय के धन्यवाद ज्ञापन्न के साथ ने कार्यक्रम संपन्न हुआ।