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मदहोश दिल की धडकन...


स्वर शृंगार म्युझिकल गृप का सफल रहा संगीतमय कार्यक्रम

नागपुर। स्वर शृंगार म्युझिकल गृप कि ओर से 'मदहोश दिल की धडकन' इस कार्यक्रम का आयोजन विदर्भ हिंदी साहित्य संमेलन के उत्कर्ष सभागार में 8 मई को दर्शको की भारी उपस्थिती में संपन्न हुआ।


हे शंभु बाबा मेरे भोलेनाथ इस को गाकर अर्चना बाजनघाटे ने कार्यक्रम का प्रारंभ किया। एक से बढकर एक हिंदी और मराठी गीत प्रस्तुत किये गये। मै हुं प्रेम रोगी यह गीत गाकर दिलीप मोहरे ने समा बांधा। मदहोश दिल की धडकन-राहुलदा संग आरती महात्मे, मुझे तुम मिल गये हमदम-लक्ष्मी बर्वे, रुपेरी वाळूत माडांच्या बनात ये ना-अलका भागवत,चुकलं मेरे मन को-मिलिंद तुपकर, तेरी उम्मीद तेरा इंतजार-नरेद्र महात्मे संग आरती महात्मे, क्युकी इतना प्यार तुमको - निधी पळसापुरे, अरे मनमोहना -सिमा मुडे, हम थे जिनके सहारे-विद्या जैन, पलभर के लिये कोई हमें- पंकज पवार, सोचेंगे तुम्हे प्यार-शाम समुंद्रे, चांदी जैसा रंग हैं तेरा-संतोष बढेल ने बेहतरीन गीत प्रस्तुत किये। मातृ दिवस के उपलक्ष मे तु कितनी अच्छी हैं यह गीत आरती महात्मे और अर्चना बाजनघाटे ने प्रस्तुत किया।

स्वर शृंगार म्युझिकल गृप के संयोजक मिलिंद तुपकर, संचालक नरेंद्र महात्मे के साथ साथ कार्यक्रम की संकल्पना आरती महात्मे और स्वाती तुपकर की थी। ध्वनी व्यवस्था विनोद पांडे इनकी थी। कार्यक्रम का प्रवाही निवेदन विभा विंचुरकर ने किया।
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