महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय की मनाई जयंती
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नागपुर/सावनेर। स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल हेती, सावनेर में विगत दिनों महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय की जयंती विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाइन मनाई गई। आधुनिक काल में भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत तथा सांप्रदायिकता, अंधविश्वास असंगत कुरीतियों , कुप्रथाओं, निराधार मान्यताओं और मूल्यों के घनघोर शत्रु राजा राममोहन राय ऐसी ही क्रांतिकारी परंपरा के सच्चे, ईमानदार तथा यथार्थवादी चिंतक, विचारक एवं विद्वान थे।
जर्मनी के आदर्शवादी दार्शनिक जॉर्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हीगेल के समकालीन राजा राममोहन राय जितने गहन, गंभीर और गहरे विद्वान और विचारक थे उतना ही समाज को बदलने की गहरी, गंभीर और गहन तड़प रखते थे। 17 वर्ष की जिस उम्र में मन मस्तिष्क रूमानी ख्वाबों और ख्यालो में गोते लगाता रहता है उस उम्र में राजा राममोहन राय स्वतंत्रता ,समानता और भाईचारा के नाम पर लड़ी जा रही फ्रांसीसी क्रांति से रूबरू हो रहे थे तथा उनका मन मस्तिष्क फ्रांसीसी क्रांति के पवित्र उद्देश्यों के साथ आलिंगन कर रहा था।
वस्तुतः सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में ताबड़ -तोड़ हुए अनगिनत हुए वैज्ञानिक चमत्कारों और आविष्कारों में नवोदित यूरोपीय राष्ट्रवाद को अद्वितीय शक्ति, सामर्थ्य और ऊर्जा प्रदान की। वैज्ञानिक चमत्कारों तथा आविष्कारों के फलस्वरुप उत्पन्न प्रौद्योगिकी ने ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों को दुनिया की महाशक्ति बना दिया। इन नवोदित महाशक्तियों ने भारत सहित संपूर्ण एशिया को अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा की प्रतिपूर्ति का क्रीड़ांगन बना दिया।
इसके विपरीत भारत सहित संपूर्ण एशियाई देशों में आर्थिक अध: पतन,राजनीतिक जर्जरता, सामाजिक विश्रांखलता और सांस्कृतिक पिछड़ेपन का दृश्य दिखाई देने लगा। इस संक्रमणकालीन हताशा और निराशा से भरी परिस्थितियों की कोख से पैदा हुए राजा राममोहन राय और उनके विचार। ब्रिटिश साम्राज्य की निर्मम, निर्लज्ज और क्रूर महत्वाकांक्षा शिकार उस दौर में सर्वाधिक संपन्न बंगाल हुआ। प्रकारांतर से राजा राममोहन राय के धार्मिक विचार मानवतावादी मूल्यों से परिपूर्ण समाज बनाने के लिए अपरिहार्य है वैसे तो राजा राममोहन राय ने बाल विवाह बहु विवाह, छुआछूत और ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों और प्रथाओं के विरुद्ध तीखा प्रहार किया परंतु सती प्रथा जैसी घिनौनी और अमानवीय प्रथा को समाप्त करने में उन्होंने जो श्लाघनीय भूमिका निभाई वह उन्हें भारतीय इतिहास में एक युगांतकारी युगपुरुष के रूप में स्थापित करती है तथा सती प्रथा को समाप्त करने की परिघटना भारतीय इतिहास में युगांत कारी परिघटना है।
निसंदेह राजा राममोहन राय ने हिंदू स्त्रियों को सती की कुत्सित प्रथा से धर्म युद्ध चलाकर गगनचुंबी अमर यशकीर्ति प्राप्त कर ली। राजा राममोहन राय ने अन्य सामाजिक कुरीतियों के साथ विधवाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की जी भर कर भर्त्सना की। उन्होंने अकाट्य तर्क देकर विधवा पुनर्विवाह का पुरजोर समर्थन किया। बहुविवाह को उन्होंने दांपत्य संबंधों और दांपत्य जीवन के प्राकृतिक सिद्धांतों तथा सनातनी संस्कृति के विरुद्ध बताया। स्कूलीय विद्यार्थियों ने राजा राममोहन राय के चित्र, लेख, स्लोगन स्कूल के साथ साझा किए। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना की एवं सहवाग की विद्यार्थियों का अभिनंदन किया।