श्रोतृरसायन - कर्णामृत की 75 दिवसीय यात्रा सम्पन्न
नागपुर। हिंददेश परिवार छत्तीसगढ़ इकाई अपनी अद्भुत परिकल्पना और समाजोपयोगी उपक्रमों के लिए जानी जाती है। इसी श्रृंखला में संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रंजना श्रीवास्तव द्वारा 18 फरवरी को एक नायाब उपक्रम श्रोतृरसायन-कर्णामृत का आयोजन किया गया, जो भारत की आज़ादी के अमृत महोत्सव के 75 वें वर्ष को समर्पित था।
इस संयोजना की छत्तीसगढ़ इकाई के सभी पदाधिकारियों ने मुक्तकंठ प्रशंसा की और आयोजन में अपना वक्तव्य सुनिश्चित किया। देखते ही देखते देश के कोने कोने से साहित्यकारों के फोन और मैसेज आने लगे और 15 दिनों के भीतर पूरे 75 दिवसीय कार्यक्रम की सूची तैयार हो गई।
सम्मिलित 75 वक्ताओं ने 75 महान मनीषियों को स्मृति पटल पर अंकित करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि आज हमारी कर्णेन्द्रियों के माध्यम से जो शब्द रसायन हमारे भीतर प्रवेश कर रहा है, उसे दिव्य श्रवण से अमृत में परिवर्तित करना।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन और गौरी कनोजे के द्वारा प्रस्तुत की गई सुमधुर सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। जाने माने हस्ताक्षर वरिष्ठ साहित्यकार आ० गिरीश पंकज (मुख्य अतिथि) के वक्तव्य के साथ श्रोतृरसायन-कर्णामृत के आयोजन का भव्य उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम दिन प्रतिदिन प्रसिद्धि प्राप्त करने लगा।
हिंददेश परिवार की संस्थापिका और अध्यक्षा डॉ. अर्चना पाण्डेय 'अर्चि', उपाध्यक्षा मधुमिता 'सृष्टि', महासचिव कुसुम शर्मा 'कमल', महाप्रभारी डॉ. मधुकर राव लारोकर 'मधुर' तथा हिंददेश परिवार छत्तीसगढ़ इकाई की अध्यक्षा रंजना श्रीवास्तव, उपाध्यक्षा प्राचार्या अंजू भूटानी, सहसचिव तनवीर ख़ान, अधीक्षक गौरी कनोजे, प्रबन्धन समन्वयक अनुजा दुबे 'पूजा', कार्यकारिणी समन्वयक विद्या चौहान, पंच परमेश्वरी अलका श्रीवास्तव और सह-प्रभारी माधुरी मिश्रा 'मधु', ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।
कार्यक्रम में 20 वर्ष से 82 वर्ष तक के वक्ताओं में क्रमशः सुधीर श्रीवास्तव, डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव, सुधा राठौर, रश्मि मिश्रा, हेमलता मिश्र 'मानवी', डॉ. शीला भार्गव, रामकुमारी करनाके, रेशम मदान, किरण मुंदड़ा, रूबी दास, आदेश जैन, शगुफ्ता यास्मीन क़ाज़ी, रीमा दीवान चड्ढा, मधु माहेश्वरी, ममता श्रवण अग्रवाल, डॉ. संगीता ठक्कर, श्वेता दूहन देशवाल, डॉ. आर. के. मतङ्ग, पुष्पा बुकलसरिया, मयूरा देवरस, हंसराज सिंह हंस, कीर्ति वर्मा, डॉ. हेमलता रानी, सुनीता केसरवानी, विशाल खर्चवाल, मधु सिंघी, प्रदीप मिश्र 'अजनबी', खुशी प्रयागराज, शर्मिला चौहान, नन्दिता मनीष सोनी, आरती सिंह एकता,
रति चौबे, प्रभा मेहता, बजरंग लाल केजड़ीवाल, मिली विकामशी, नीलम शुक्ला, धारणा अवस्थी, सुरभि सिंह सिसोदिया, पूजा नबीरा, प्रेमलता तिवारी, मीना जैन, भारती रावल, राजवाला पुँढीर, शीला डागा तापड़िया, संजय गुप्त, खुदेजा ख़ान, वसिष्ठ नारायण, श्रीकांत तेलंग, भूपेश प्रताप सिंह, डॉ. जुल्फिकार गुन्नौरी, सोनम लड़ीवाला, कुँवर इन्द्रजीत सिंह, राजेश नामदेव, नीलिमा दुबे, ज़ाहिरा बानो, डॉ. महेश कुमार जैन 'अमृत', मुस्कान वर्मा, किरण पाण्डेय, समीर कुमार झा, कविता परिहार और प्रीति देवी ने अपने वक्तव्य से कार्यक्रम को गन्तव्य तक पहुँचाया। भारी माँग पर कुछ वक्ताओं ने दो-दो बार प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ इकाई की अलंकरण समन्वयक नेहा किटुकले ने सुंदर प्रमाणपत्र बनाकर सभी वक्ताओं को "संस्कृति संवाहक" के सम्मान से नवाजा।
75 वें दिन 05 मई को डॉ. अर्चना पाण्डेय 'अर्चि' और रंजना श्रीवास्तव ने विधिवत् विदाई समारोह का आयोजन किया और सधन्यवाद वक्ताओं और श्रोताओं को शीघ्र मिलने के वादे के साथ विदा किया।