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कवि संतोष बादल की दो पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न


नागपुर। व्यंग्य निबंध अत्र कुशलम तत्रास्तु और कविता संग्रह दर्द भरा प्यासा बादल नगर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार कवि श्री संतोष बादल की इन दो कृतियों का लोकार्पण विदर्भ  हिंदी साहित्य सम्मेलन के उत्कर्ष सभागृह में डिम्ड यूनिवर्सिटी कराड़ के कुलपति डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा की अध्यक्षता व नागपुर के कर्मठ पुलिस उपायुक्त गजानन राजमाने के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सागर खादीवाला तथा नागपुर विश्विद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय की विशेष उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

कार्यक्रम का संचालन महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी  के पूर्व सदस्य अविनाश बागड़े ने किया, वहीं आभार प्रदर्शन सुप्रसिद्ध व्यंग्य कवि अनिल मालोकर ने माना। दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती के चित्र को माल्यार्पण के साथ प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम में राजेश शुक्ला, शीतला प्रसाद त्रिपाठी, आशुतोष पांडेय, श्रीमती वर्षा पांडेय, श्रीमती स्नेहा पांडेय ने शॉल श्रीफल व तुलसी का पौधा देकर अतिथियों का स्वागत सत्कार किया।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. मनोज पांडेय ने दोनो पुस्तकों का समीक्षात्मक विश्लेषण करते हुए बादल जी की कलम को कलम न होने देने की अपील करते हुए समाज से जोड़ने वाले सृजन के प्रति अपने मनोगत प्रगट किए।

डॉ. सागर खादीवाला ने श्री बादल के सतत लेखन को समर्पित भाव से साहित्य से जुड़ने का जज़्बा निरूपित किया। मुख्य अतिथि गजानन राजमाने ने अपने ही विभाग के साहित्य शिल्पी के प्रति उद्गार प्रकट करते हुए सभा में उपस्थित जन समूह को झकझोर के रख दिया। समाज के सुखों का ध्यान रखते हुए स्वयं को दर्द के सागर में डूबो देने वाले पुलिसवालों की जिंदगी पर बड़े ही मार्मिक ढंग से अपने बेबाक विचार रखे। वरिष्ठता के हिसाब से विभाग में मैं भले ही बड़ा हूं पर साहित्य के क्षेत्र में खुद को उपायुक्त और बादल जी को कमिश्नर ऑफ पुलिस बता कर तालियां बटोरी।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. वेदप्रकाश ने संगम की इस त्रिवेणी में महादेवी वर्मा ( हिंदी काव्य), हरिशंकर परसाई (व्यंग्य) के साथ ही भविष्य में तीसरी धारा यानी गैर मराठी भाषी होकर भी अविशा प्रकाशन से मराठी में गीत गजलों के संकलन के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रगट की। प्रख्यात महादेवी वर्मा द्वारा संतोष जी को बादल उपनाम देने की सार्थकता को भी उन्होंने प्रतिपादित किया।

कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोगों के अलावा सर्वश्री विनय मोहन्ता, श्रीकृष्ण नागपाल, रामलखन तिवारी, नरेंद्र परिहार, रमेश मौंदेकर, रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, टीकाराम साहू, अजय पांडे, गुलाब दुबे, शीतला प्रसाद त्रिपाठी, वासुदेव उईके, राजेन्द्र शुक्ला, अनस अंसारी, तृप्ति नायक, अरुण वानखेडे
विदुषियों में श्रीमती रूबी दास, पूनम मिश्रा, हेमलता मिश्रा, मीरा जोगलेकर, डॉ. प्राची त्रिपाठी, सीता तिवारी, गीता तिवारी की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा में चार चांद लग गए।
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