भारतीय जनचेतना के वाहक थे निराला : डॉ. खुशलानी
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नागपुर। निराला भारतीय जनचेतना के वाहक थे। उन्होंने भारतीय जनजीवन की संवेदना को स्वर दिया। उनका जीवन संघर्षमय रहा, किन्तु साहित्य संघर्ष का प्रेरक रहा। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार, दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ खुशलानी ने हिंदी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा निराला जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही।
उन्होंने कहा कि निराला के साहित्य में जीवन के विविध स्वर सुनाई देते हैं। 'दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूं आज जो नहीं कही' के उद्घोषक निराला पलायनवादी नहीं थे। वे संघर्षों से जूझने वाले, व्यवस्था से विद्रोह करने वाले आम जीवनबोध का नेतृत्व करने वाले सृजनकार थे। डॉ. खुशलानी ने कहा कि वसंत पंचमी के दिन निराला जयंती का प्रसंग जीवन के उल्लास और नवसंचार का सूचक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने हिन्दी साहित्य में निराला के अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि महाप्राण निराला ने साहित्य की कमोवेश सभी विधाओं में जन-सामान्य की भावनाओं को उद्घाटित किया। वे एक फक्कड़ और मस्तमौला रचनाकार थे। उन्होंने आजीवन वर्जनाओं, रुढ़ियों को तोड़ते हुए नवसृजन किया। वंचित, पीड़ित हाशिए के समाज की अनुगूंज उनकी रचनाओं में सुनाई पड़ती है।
इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजय पल्वेकर ने कहा कि निराला भारतीय साहित्य के एक अमर रचनाकार हैं। आयकर विभाग के सहायक निदेशक श्री अनिल त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में निराला के दुद्धर्ष व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डॉ. जयप्रकाश, हिन्दी अधिकारी, कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने निराला की साहित्य साधना के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।
हिन्दी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संतोष गिरहे ने निराला को वंचित, पीड़ित समाज का प्रवक्ता बताया। डॉ. सुमित सिंह ने निराला को भारतीय गौरवबोध एक सशक्त प्रहरी कहा। प्रा. जागृति सिंह ने निराला की राम की शक्ति पूजा का वाचन करते हुए उन्हें शक्ति और संघर्ष का कवि कहा। प्रा. आकांक्षा बांगर ने निराला की रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।