मेरी आवाज ही मेरी पहचान है की स्वर कोकिला का दुनिया को अलविदा
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सुपरिचित कवि दयाशंकर तिवारी (मौन) मुंबई के नवरंग स्टूडियो में गीत रिकार्डिंग के समय 1976 साल में लता मंगेशकर के साथ।
देश की शिक्षा स्वर गायन हुनरकला को सत्य साबित कर दिखाया लता मंगेशकर ने
नागपुर (आनंदमनोहर जोशी)। बीसवीं सदी से लेकर 21 वीं सदी के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की प्रशंसा की थी और लता मंगेशकर को बधाई दी। आखिरकार लता मंगेशकर ने बसंत पंचमी सरस्वती के अवतरण दिवस के दूसरे दिन दुनिया को अलविदा कर चली गई। लगभग 9 दशक पहले जब शिक्षा की शुरुआत हुई थी, तब कई भ्रांतियों के कारण शिक्षण संस्थानों मे भेदभाव था।
1929 से 1934 के समय अंग्रेज हुकूमत के अत्याचार से त्रस्त भारतवासियों को प्राथमिक, माध्यमिक, और उच्च माध्यमिक शिक्षा से वंचित रहना पड़ा था। सरस्वती अवतरण बसंत पंचमी के दूसरे दिन 6 फेब्रुअरी को भारत की स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन के बाद यह खुलासा हुआ कि लता मंगेशकर के पास 5 साल की आयु में कक्षा पहली में प्रवेश लेने के लिए पैसा नहीं होने से उनकी और बहनो की शिक्षा नहीं हो पायी। फलस्वरूप लता मंगेशकर की पढाई घर पर ही हुई। उसी समय 5 साल की उम्र में लता मंगेशकर को गीत संगीत का शौक लग गया।
लेकिन मात्र 13 वर्ष की उम्र के समय लता मंगेशकर परिवार पर दुख का पहाड़ टूट गया। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन 1942 में होने के बाद पांच भाई बहनों की जिम्मेदारी भी एक के बाद एक आ गई। ऐसे मुश्किल समय में लता मंगेशकर की पतली आवाज देखकर संगीतकार, गीतकार ने उन्हें काम नहीं दिया। फिल्म मे भी उन्हें काम नहीं मिला। फिर भी लता मंगेशकर, उषा, आशा मंगेशकर, मीना मंगेशकर का संघर्ष जारी रहा। हमारे नागपुर में लता मंगेशकर हॉस्पिटल है जहां आज भी अनेक डॉक्टर अनेक मरीजों की सेवा कर रहे है। नागपुर के कवि, कलाकार दयाशंकर मौन, कलाकार सुनील वाघमारे सहित अनेक लोगो ने लता मंगेशकर के निधन पर दुःख व्यक्त किया है।
करीब 6 दशक तक लगातार गीत गायन कर बधाई, देशभक्ति, दुःख, सुख, ख़ुशी, प्यार, मोहब्बत के साथ विदाई के गीत गायन की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन से 139 करोड़ देशवासियों को गहरा दुःख हुआ है। आज भी लता मंगेशकर के मुख्य गीतों में मुगले आजम, पाकीजा, गाइड, प्रेम पुजारी, सिलसिला, अभिमान, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें के साथ हज़ारों फ़िल्म की यादे शामिल हैं। किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, आशा भोंसले आदि के साथ गीत को भुलाया नहीं जा सकता। मिले सुर मेरा तुम्हारा में भीमसेन जोशी, अमिताभ बच्चन, वहीदा रहमान सहित अनेक कलाकारों के मिश्रित गीत अमर रहेंगे। साथ ही 20 भाषा के प्रमुख गीत के साथ 30 हज़ार गीत को भी सदियों तक याद रखा जाएगा।
मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित, हेमा मालिनी की फिल्म्स में स्वर देनेवाली अमर गीत गायक स्वर कोकिला को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बच्चों,युवा,प्रौढ़ सभी के गीत गाये। ऐ मेरे वतन के लोगों से लेकर मराठी विसावा के गीत गाकर अंतिम समय विदाई ली। आज प्राथमिक, माध्यमिक,और उच्च माध्यमिक कक्ष के प्रवेश के दौरान हज़ारों लाखों की रकम वसूली जा रही है। लता मंगेशकर की याद में भारत सरकार सभी जरूरतमंद बच्चों के लिए प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शालाओं में उनके सम्मान में सभी को निशुल्क शिक्षा के लिए व्यवस्था करें।
उल्लेखनीय हो कि लता मंगेशकर को शिक्षा की बचपन में असुबिधा होने के बाद भी उन्हें महाराष्ट्र भूषण, दादासाहेब फाल्के, भारत रत्न, पद्मभूषण, फ़िल्म् फेयर स्पेशल पुरस्कार प्राप्त हुआ। सभी बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार मिले यही लता मंगेशकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मेरी आवाज ही मेरी पहचान का गीत गाने वाली स्वर गायिका को भगवान ने बसंत पंचमी के दूसरे दिन अपने पास बुला लिया। लता मंगेशकर के लिए समुद्र के समान स्याही तक प्रयोग कर लेख लिखे वह भी कम होगा।