दर्द...
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इन दर्दों ने
तुम्हें बनाया है
संजोया, संवारा
हिम्मत दिलाया है,
इन दर्दों को
गले लगाओ प्रिये,
ज़ख्मे दिल जो
हसीन पाया है।
तुम जो इतनी
खिली हो पुष्प सी
इन ज़ख्मों को ही
दाद दो,
मजबूत बनाया है।
धुप है,
तो है छाँव भी
दिन है
तो है रात भी,
कांटे हैं
तो है फूल भी,
खुशी है,
तो है गम भी,
सुख दुःख के
ताने बाने में
फले फूले
यह जीवन भी।
- डॉ. शिवनारायण आचार्य 'शिव'
नागपुर, महाराष्ट्र