साहित्यिकी के अंतर्गत हुआ कवि सम्मेलन
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नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत बसंत पंचमी पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद खान आलम का स्वागत संयोजक डॉ विनोद नायक ने अंगवस्त्र से किया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक आदेश जैन ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना से मीरा जोगलेकर द्वारा किया गया। सम्मेलन में मजीद बेग मुगल ने 'चिंगारी शोला बन जाती है' तन्हा नागपुरी ने 'दिवाने की तरह अपने ही डर में', नीलिमा गुप्ता ने 'कभी तो समझोगे मुझे', तो अपना' मोहम्मद सिद्दीक ने 'मैं कहीं कवि न बन जाऊ', मनिंद्र सरकार ने 'मुझे शिकायत है', डॉ विनोद नायक ने 'सरस्वती वंदना' एवं 'मैं जल हूँ', अमानी कुरैशी ने 'चुनाव में आजकल',
मीरा जोगलेकर ने 'मेरे कंठ बसों महारानी', रूबी दास ने 'श्रृंगार रस पर कविता', गुलाम मोहम्मद खान आलम ने 'ग़ज़ल', हेमलता मिश्र मानवी ने 'तुम बनो बौराया बसंत प्रिये', आदेश जैन ने 'तोड़ के बंधन सारे जग से' जैसी एक से बढ़कर एक रचनाए़ँ प्रस्तुत कर बसंत पंचमी पर सफल कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।