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बजट के बाद सभी वर्गों पर सरकार का ध्यान आवश्यक


डिजिटल के अलावा गैर तकनीक श्रमिकों पर सरकार का ध्यान आवश्यक

नागपुर (आनंदमनोहर जोशी)। भारत की आबादी अभी 139 करोड़ हो चुकी है, जो की चीन की आबादी के बाद दूसरे नंबर पर है। 2014 से लेकर 2022 तक वर्तमान सरकार ने अब तक 9 केंद्रीय बजट पेश किये है। ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार 2 साल से कोरोना की महामारी की त्रासदी के बाद पहली बार डिजिटल बजट लाई है। 

केंद्र सरकार की सत्तापक्ष के साथ विपक्ष और देशवासियों ने पीठ थपथपाने चाहिए थी। भारत की राजनीती में यह दुर्दैवी बात है की जिस प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने 139 करोड जनता को 170 करोड़ की वक्सीनशन का खर्च उठाकर बहुमुखी विकास का डिजिटल बजट पेश किया। महामारी अभी भी जारी है। 

सरकार ने महामारी से मुकाबला करके जो बजट पेश किया है उसे देखते हुए यह बजट संतुलित है। बजट पर सरकार का स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, कृषि और  खाद्य पर केंद्रित है। साथ ही रेलवे, एयरपोर्ट, सड़क विकास के साथ डिजिटल मुद्रा को ज्यादा अहमियत दी गई है। कुछ साल केंद्र सरकार को हाथ से किये जा रहे बही खाते,दिहाड़ी मजदूरों, खेतिहर मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों और स्वरोजगार करने वाले नागरिकों के तरफ भी ध्यान देना होगा। कोरोना काल में कई नागरिक बेरोजगार हो गए। 

आज 139 करोड़ नागरिक में से 50 फीसदी नागरिक के घर में डिजिटल, कंप्यूटर, ऑनलाइन शिक्षा के लिए उचित सुविधाएँ नहीं है। जबकि सरकार ने आते बराबर भारत की मुद्रा को बदलने के बाद ऑनलाइन शिक्षा पर जोर देना शुरू किया। इसलिए कुछ नेता और नागरिक मध्यम वर्ग, वेतनभोगी, गरीब और शोषित पीड़ित के लिए बजट को अस्वीकार कर रहे है। 

भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया क्रिप्टो करेंसी को लागू करने से पहले विचार करे। भारत सरकार के साथ मिलकर 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गैर-तकनीकी नागरिकों के विकास और रोजगार पर ध्यान देना बेहतर होगा।  साथ ही विपक्ष को भी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए 139 करोड़ नागरिकों के लिए सरकार की आलोचना की बजाय उसका साथ देना होगा। हो सकता है अगले बजट में भारत की आर्थिक स्थिति बेहतर हो। संविधान में सभी को अपने विचार प्रकट करने की छूट है। केंद्र सरकार को बजट प्रस्तुत के बाद में गरीबों, वंचितों, जरूरतमंदों, व्यवसायियों, छात्रों, गृहस्थों, गैरतकनिकी पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। 

डिजिटल कार्यक्रम से पहले सरकारी कर्मचारियों, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों, आम जनता  को प्रशिक्षण की बहुत जरूरत है। आज लोकसभा, विधानसभा, सरकारी कार्यालयों, बैंको में ऑनलाइन कर देने से भारत देश डिजिटल नहीं होगा। इसके लिए प्राथमिक स्तर से स्कूल, कॉलेज, शहर, गॉव, कस्बे के सभी उम्र के लोगों को डिजिटल शिक्षा का प्रशिक्षण देना होगा।
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