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बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि प्रदीप को आदरांजलि


नागपुर/सावनेर। स्थानीय अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि प्रदीप को उनके जन्मदिन पर आदरांजलि दी। स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने कवि प्रदीप के संदर्भ में रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि कवि प्रदीप ऐसे राष्ट्रभक्त कवि थे जिन्होंने आजादी के पूर्व और बाद में भी देशभक्तिपूर्ण गीतों की रचना कर राष्ट्र- निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रचनाकार, संगीतकार और गीतकार की त्रिवेणी से समाहित उनका व्यक्तित्व जीते जी एक मिथक बन गया। ऐसी प्रतिभाशाली और बहुमुखी प्रतिभा की कमी बॉलीवुड में बहुत दिनों तक महसूस होती रहेगी। 

'देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान'
'आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनियावालों, हिंदुस्तान हमारा है'
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं, झांकी हिंदुस्तान की"
'साबरमती के संत तूने, कर दिया कमाल'
"ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी"

जैसे अनगिनत गीत के रचयिता कवि प्रदीप का असली नाम रामचंद्र द्विवेदी था। उनका जन्म 6 फरवरी 1915 को बाड़गर मध्यप्रदेश में हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। इलाहाबाद और मुंबई के कवि सम्मेलनों में उनकी काव्य प्रतिभा ने ऐसी धूम मचायी कि वे फिल्म जगत में आ गए। उनकी काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर बॉम्बे टाकीज के हिमांशु राय ने अपनी फिल्म 'कंगन 'के लिए 1939 में अनुबंधित किया। इस फिल्म में 4 गीत उन्होंने लिखें, 3 स्वयं गाए। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 'बंधन', 'पुनर्मिलन', 'झूला' ,'नया संसार', 'अंजान', 'किस्मत','जागृति' जैसी फिल्मों ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचाया। उन्होंने अपने गीत लेखन की प्रतिभा द्वारा पारंपरिक हिंदी लेखन शैली को पुनर्जीवित किया। 

छह दशकों के लंबे करियर में उन्होंने फिल्म जगत की सभी बड़ी हस्तियों के साथ काम किया।1965 में अपना अंतिम गीत दूरदर्शन के लिए लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में लिखकर फिल्म जगत को अलविदा कहा। दादा साहब फालके सम्मान से सम्मानित कवि प्रदीप ने 11 दिसंबर 1998 को अंतिम सांस ली। उनके गीत सदियों तक भारत वासियों के दिलों में जिंदा रह कर उनका एहसास कराते रहेंगे और स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की प्रेरणा देते रहेंगे। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना करते हुए कवि प्रदीप को आदरांजलि प्रदान की।
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