स्वामी दयानंद सरस्वती को आदरांजलि
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नागपुर /सावनेर। हिंदू धर्म के उत्थान व स्वाभिमान को जगाने में स्वामी दयानंद सरस्वती का महत्वपूर्ण योगदान था। स्वामी दयानंद सरस्वती हमारे समाज एवं राष्ट्र के ऐसे ही एक प्रकाश स्तंभ है, जिन्होंने न केवल धर्मक्रांति की बल्कि राष्ट्रकांति के भी वे प्रेरक बने। अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल, हेती (सुरला) में बड़ी सादगी से आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती बड़े ही हर्षोल्लास से मनायी।
विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन के रोचक प्रसंग सुनाए गए। विद्यार्थियों ने उनके रेखाचित्र स्कूली की आर्ट गैलरी के लिए साझा की। स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने भयाक्रांत, आडंबरों में जकड़ी और धर्म से विमुख जनता को अपनी आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक एकता से संबल प्रदान किया। वे आधुनिक भारत की महान चिंतक, समाज सुधारक, क्रांतिकारी धर्मगुरु व देशभक्त थे।
हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता देने तथा हिंदू धर्म के उत्थान व इसके स्वाभिमान को जगाने हेतु स्वामी जी के महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय जनमानस सदैव उनकी ऋणी रहेगा। 1875 में गिरगांव मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। 1876 में स्वराज्य का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना की एवं सहभागी विद्यार्थियों का अभिनंदन किया।